Friday 23 December 2016

@aajtaknews @ aajtak.in सवाल है - हर चैनल ईमानदार.. हर बैंक. .corrupt. ..

@ aajtak.in.... आपसे मेरा एक सवाल है, क्या हर चैनल ईमानदार है? Banks की जो picture create की है आपके चैनल ने, क्या वास्तव में ऐसा है ? Corruption हर जगह है ऐसे में लाखों की तादात में से अगर आपको मात्र 10 लोग गलत करते दिख गए तो क्या उससे सारा banking system ही corrupt हो गया? आपको ये नहीं दिखा कि कैसे bank n bank employees ने risk factors होने के बावजूद दिन रात काम किया है । Pls..... sting operation होना चाहिए । सच आम जनता के बीच लाना आपकी जिम्मेदारी है , परन्तु जो गलत हैं उन्हें by name आम जनता के बीच expose करिए न कि पूरे banking system और bank employees को ही शक और सवालों के कटघरे में आप खड़ा करें ।

Wednesday 16 November 2016

एक निवेदन : नोटों के लिए कुछ ऐसा करें -

देश के हर उस व्यक्ति से मेरा विनम्र निवेदन है जो अपने नोट बदलने के लिए लाइन में खड़ा है। ये वाकया आप सबसे इसलिए बाँट रही हूँ,  कि इन लंबी  लाइनों के चलते एक बैंककर्मी के ऊपर क्या गुजर सकती है,  वो आप भी जानिए - 
     मेरे पति bank employee  हैं,  इसलिए जो घटना मैं आपको बताने जा रही हूँ वह शत प्रतिशत सत्य घटना है ।  3 - 4 दिन पहले  लखनऊ उत्तर प्रदेश स्थित भारतीए स्टेट बैंक की एक ब्रांच में एक सज्जन ने अपने account से ₹10000 निकाला और अपने घर चले गए । करीबन दो-तीन घंटे बाद वो सज्जन पुन: उस काउंटर पर पहुँचे और उसी व्यक्ति को उन्होंने ₹ 2000 के 5 नोट यह कहकर वापस किए कि आपको मुझे मात्र ₹10000 देने थे और आपने मुझे 20 हजार दे दिए।  सबसे पहले इस ईमानदारी के लिए उक्त सज्जन  को मेरा साधुवाद और नमन है ।
         10 और 11 तारीख को लगातार दो दिन तक सुबह 9:30 से रात 12:00 बजे तक काम करने वाले बैंक कर्मी की मनोदशा क्या होगी ? आप इससे अंदाजा लगाइए कि उसने नींद और थकान के चलते एक व्यक्ति को ज्यादा पेमेंट कर दिया। हाँ ! सम्भवतः एक कारण यह भी रहा होगा कि अभी तक एक हजार के नोट गिनते थे और अचानक से दो हजार  के नोट गिन रहें हैं । एक बात और भी सोचने वाली है कि यदि यह पैसा वापस नहीं आता तो क्या होता ? अपने देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए सभी बैंक कर्मी माननीय मोदी जी का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रहे हैं,  इसके लिए बैंक कर्मियों ने अपनी नींद और आराम का तो त्याग किया ही है  उसके साथ अपने परिवारों को भी अनदेखा किया है ।
         दोस्तों ! मेरी आपसे एक छोटी सी अपील है कि जिनका भी  बैंक या पोस्ट् ऑफिस में account है वो लोग कृपया अपने account में पैसा जमा करें और चेक , ड्राफ्ट या ATM द्वारा ही पैसा निकालें। जहाँ credit  या debit card द्वारा  शॉपिंग या पेमेंट हो सकता हो , वहाँ  कार्ड का ही इस्तेमाल करें । ऐसा करने से निम्नवर्ग के व्यक्ति और बैंक कर्मी को काफी हद तक राहत मिल सकती है । जैसे -
1- बैंक और ATM पर लगने वाली लाइन छोटी हो जाएंगी ।
2- बेवजह लडाई - मारपीट बंद होगी ।
3- निम्नवर्ग जिसे सबसे ज्यादा जरूरत है नोट बदलने की , उसका समय बचेगा एवं काम का हर्जा नहीं होगा। निम्नवर्ग ही रोज कुआँ खोदता है तो पानी पीता है।
4- बैंक कर्मी के शरीर - मन को थोड़ा आराम मिलेगा।
5-  जो सक्षम हैं वह कुछ समय बाद भी अपने नोट change करवा सकते हैं।
       दोस्तों ! अपने देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए आप भी निम्नवर्ग  एवं  बैंककर्मी के कंधे से कंधा मिलाकर चलें और  मोदी जी के इस प्रयास को सफल और सार्थक बनाने में अपना सहयोग प्रदान करें । अपने पूरे बैंक  परिवार की ओर से आप सब की तहेदिल से आभारी रहूँगी ।
                                                                                 धन्यवाद
                                                                             नीलिमा कुमार
   

Thursday 10 November 2016

ऐतिहासिक फैसले का अभिनंदन, हिन्द के लिए कुछ और कड़े फैसलों की ज़रूरत :

         यकीं नहीँ होता कि कोई शख्स इतना मज़बूत हो सकता है। एक के बाद एक ऐसे झटके जिसने देश की आवाम के साथ साथ हर प्रकार के नेता और बड़े बड़े लोगों के छक्के छुड़ा दिए। आपके लिए सिर झुका कर नमन है मोदी सर...
      एक विस्फोट किया तो पाकिस्तान हिल गया, वहीं दूसरा विस्फोट किया तो बड़े बड़े लोग हिल गए। बहुत बढ़िया और सटीक कदम उठाया है आपने और सबसे बड़ी बात यह है कि बिना समय दिये इस फैसले को लागू कर दिया । आपके इस कदम पर जहाँ दूसरी पार्टियाँ,  कथित नेतागण आम आदमी के कन्धे पर बन्दूक रख सवाल उठा रहे हैं,  अपना क्रोध और खीझ व्यक्त कर रहे हैं आपके सामने , तो दूसरी ओर वहीं आम आदमी बहुत खुश है जो मानता है कि उसे थोड़ी तकलीफ जरुर उठानी पड़ रही है किन्तु यह परेशानी कुछ समय की ही है । वह तो इस एक बात से ही खुश है कि  अमीर गरीब के बीच के फासले जरूर घटेंगे ।  कुछ दिन की इस परेशानी को झेलने के लिए एक आम आदमी खुशी खुशी तैयार है। हाँ ! कहीं न कहीं ऐसे लोग ज़रूर पिस जाएंगे , जिनके पास वास्तव में मेहनत से कमाया सफेद धन है। 

       अपना अनुभव बताना चाहती हूँ कि जहाँ मैं रहती हूँ वह एक अपार्टमेंट है । मेरे पति एक बैंक में कार्यरत हैं , इस नाते रात 12:00 बजे तक उनके पास कई फोन आए । जैसे - मैं डॉक्टर हूँ । मेरे यहाँ लोग cash ही देते हैं ।  ज्यादातर लोग  500 या 1000 के नोट से ही payment करते हैं । मेरा पैसा कैसे cash होगा ?    एक और फोन -   मैं बिल्डर हूँ । मेरे पास तो black n white दोनों ही है , मैं क्या करूं ? आदि आदि । इसके विपरीत मेरे पास मेरे यहाँ काम करने वाले लोगों ने फोन किया या खुद पूछने आए । उनके सवाल कुछ ऐसे थे - मैम ! मुझे कल ही salary  मिली थी ₹6000 हैं सब 500 के नोट हैं,  अब यह सब क्या बेकार हो जाएंगे ?  मैं क्या करूं ? तो मैंने उसे नोट एक्सचेंज करने के बारे में बताया, सुनकर उसने ठंडी सांस ली और बोला तब कोई बात नहीं पैसे मिल तो जाएंगे ना , दो चार दिन बाद ही सही । इसी तरह की छोटी-छोटी जानकारियाँ लोगों ने मुझसे मांगी । पूर्ण जानकारी के अभाव में यह सभी लोग परेशान थे किंतु अपने मतलब की सब जानकारी मिलने के बाद उनकी परेशानी , चिंता जैसे सब मिट गई। आज सुबह हर व्यक्ति अपना काम शांति से करके चला गया, उनको देखकर लगा ही नहीं कि कल रात कोई ऐतिहासिक फैसला लिया गया था।  हाँ ! इस ऐतिहासिक फैसले का असर दिखा दोपहर में हुई हमारे क्लब की पार्टी में। लोगों में काफी बेचैनी दिखाई पड़ी । वार्तालाप का विषय बार-बार घूम कर इन्हीं 500 और 1000 के नोट पर आकर रुक जा रहा था। और भी हद देखने को तब मिली  जब शाम को मैंने अपने धोबी को 152 रुपये कपड़ों की प्रेस कराई के दिए,  तो वह बहुत खुश हुआ , उसने कहा कि आज सिर्फ यही पैसा मिला है क्योंकि आज जिस जिस ने कपड़े प्रेस के लिए दिए थे और मैं इस वक्त कपड़े प्रेस करके उनके घर पहुंचाने गया तो हर व्यक्ति ने 500 का नोट मुझे यह कहकर देना चाहा कि टूटे नहीं हैं,  इसीलिए मुझे कहना पड़ा कि जब आपके पास टूटे हो जाएँ तब दे दीजिएगा । 

         मुझे ताज्जुब होता है और अंतर भी यहीं दिखता है कि कैसे पैसे वाला व्यक्ति  अपने ₹500 के नोट को चलाने में लगा है और कितना परेशान हैं जबकि वहीं जमीन से जुड़ा व्यक्ति शाँत चित्त से अपने काम में लगा हुआ है। सिक्के के दो पहलू होते हैं ये तो शाश्वत सत्य है , इस से क्या डरना .... आप देश हित में  जो भी फैसले  ले रहे हैं  मुझे लगता है  कि एक आम आदमी  आपके  इन फैसलों का  खुले दिल से  स्वागत कर रहा है  और शुरुआती दौर में इन फैसलों से जो कठिनाईयाँ सामने आएंगी, उन्हें एक आम आदमी बर्दाश्त करने के लिए  तैयार है । सच्चाई तो यही है कि देश का एक आम आदमी थोड़ी परेशानी सहकर भी इस ऐतिहासिक फैसले का तहे दिल से स्वागत कर रहा है। कुछ और कड़े फैसलों के लिए देश को तैयार रहना ही पड़ेगा,  तभी हम अपने  पुराने,  खूबसूरत हिंद को देख पाएंगे।  मोदी सर ! हमें आप पर गर्व है , पुन: एक बार आपको नमन है.......
                                                                   नीलिमा कुमार

Sunday 30 October 2016

दिए की लौ से - , ए जवान ! दीपावली की मंगलकामनाऐं .....

             दिए की लौ से  -  ए जवान !
             दिल में तुम हो ,
             और हमारे सजदों में भी तुम हो ।
             हमारी चिन्ताओं के साथ
             अपनी चिता तुम सजाते हो।
             तुम जिस बाती का हिस्सा हो
             उसका दिल भी रोता होगा ,
             तो वहीं गर्व से
             अश्रुपूरित नम आँखो संग
             मस्तक भी ऊँचा होता होगा।
                       ये न सोचना कि तुम अकेले हो ,
                       मेरा देश ही वो दियाली है
                       जो अपनी बाती को
                       संजोकर रखता है ।
                       और तुम वो लौ -
                       जो खुद जलकर
                       हमें हर रोज़
                       एक नया सबेरा देते हो ।
           ए जवान ! इसीलिए तो तुम
           दिल में हो और सजदों में भी ।

        आप सबको दीपावली मंगलमय हो
                          
                                      नीलिमा कुमार

Saturday 1 October 2016

सर्जिकल स्ट्राइक : एक नई सुबह का आगाज़, एक अपील

दोस्तों ! सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए हमारी आर्मी ने यह साबित कर दिया है कि अगर हमारी आर्मी राजनीति के दबाव में न रहे और उसे अपने तरीके से काम करने दिया जाए, तो वो क्या कर सकती है । श्रद्धा सुमन के साथ शत् शत् नमन है हमारे भारतीय जवानों को।
        भारत की जनता तो एक हो चुकी है और वो पूर्णतया भारतीय सेना के साथ है,  जरूरत है तो हमारे नेताओं को ये समझने की कि हर पार्टी अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर देश के लिए सोचे , तो वो हो सकता है जो आज हुआ है । वैसे इस समय सभी राजनीतिक पार्टियाँ बधाई की पात्र हैं जिन्होंने इस मुद्दे पर एकजुट होकर अनेकता में एकता कहावत को चरितार्थ किया है । हमारा देश वास्तव में एक अखण्ड राष्ट्र है । जैसे एक परिवार के सदस्यों के  बीच चाहे कितनी ही दूरियाँ हों,  पर घर की चौखट के अन्दर रक्खा दुश्मन का एक कदम सारे सदस्यों को एक मुठ्ठी में बंधकर लड़ने पर मजबूर कर देता है ( क्षणिक ही सही ) , उन्हें एक कर देता है , ठीक उसी तरह आज यही अखण्डता देश में दिखाई पड़ी जिसकी वजह से इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल हुई ।
         ईश्वर से प्रार्थना है कि हमारे इस देश को,  हमारे देशवासियों एवं सभी राजनीतिक पार्टियों का यह सहयोग प्रतिदिन निस्वार्थ भाव से मिलता रहे तो वो दिन दूर नहीं जब हमारी भारतीय सेना हम देशवासियों की मुलाकात हमारे पुराने काश्मीर और काश्मीर वासियों से कराएगी । एक नयी सुबह का आगाज़ हो चुका है,  अंजाम हम सभी पर निर्भर है ।
                                                                 जय हिन्द
                                                               नीलिमा कुमार

         

Monday 5 September 2016

मोदी समर्थकों के लिए सन्देश -

           दोस्तों ! मैं किसी भी तरह की राजनीतिक पार्टी या राजनीतिक कार्यों से जुड़ी हुई नहीं हूँ । मैं सिर्फ उस व्यक्ति को सलाम करती हूँ , जो इस वक्त अपने देश की आन, बान और शान के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। जी हाँ, मैं बात कर रही हूँ माननीय नरेंद्र दास मोदी जी की। इस वक़्त मोदी जी देश के बाहर अपने देश को उसके मुकम्मल स्थान तक पहुँचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं , तो वही अपने देश के अंदर अपने ही लोगों से एक लड़ाई लड़ रहे हैं , वो है खुद के प्रति कुछ लोगों द्वारा किए गए विरोध की लड़ाई । बाहरी दुश्मनों से कम घर के दुश्मनों से कुछ ज्यादा ही लड़ना पड़ रहा है। मेरा सवाल मात्र हर उस व्यक्ति से है जो मोदी जी के द्वारा किए गए कार्यों को समझ रहा है और उन्हें सपोर्ट करने के चक्कर में दूसरे लोगों के द्वारा लगाए गए आक्षेपों का जबाब अपने स्तर से देने की कोशिश कर रहा है वो भी उन्हीं की भाषा में ।
           मोदी जी की पार्टी हो , समर्थक हों या मात्र उन्हें चाहने वाले , मैं सभी से करबद्ध प्रार्थना करती हूँ कि जिस खामोशी से मोदी जी अपना कार्य करते जा रहे हैं और काम करके अपना स्थान बना रहे हैं , उसी तरह आप लोग भी क्यों नहीं करते ? विपक्ष पर छींटाकशी , आरोप - प्रत्यारोप , पुराने मसलों को उठाना , अभद्र भाषा का प्रयोग यह सब क्या है ? कभी सोचा है जिसके लिए आप सब ऐसा कृत्य करते हैं , अनजाने में कहीं आपका यह कृत्य मोदी जी की साख पर बट्टा तो नहीं लगा रहा ?   ज़ाहिर सी बात है कुछ बातें हम जानकर नहीं करते पर वह किसी एक व्यक्ति के विपरीत चली ही जाती हैं । वास्तव में अगर आप मोदी समर्थक हो तो बोलकर नहीं काम करके अपनी जगह दिखाओ , उसे बनाओ , जैसे आपके मोदी जी कर रहे हैं । विदेश यात्राओं पर इतनी उंगलियाँ उठीं पर आज जो परिणाम सामने आ रहे हैं उसके कारण उठी उंगलियाँ खुद ब खुद झुक रही हैं, बोलने वाले अपने आप अपना मुंह बंद करने लगे हैं । मानना पड़ेगा दुश्मनों को किस तरह से अभिमन्यु चक्र में घेरा है। यद्यपि जनता अब भोली या बेवकूफ़ नहीं है कि उसे सच या झूठ समझाया जाए , तभी वो समझ सकेगी लेकिन हाँ ! ये भी सच है कि हम जो कर रहें हैं उसे बताना और दिखाना तो पड़ेगा ही । चलन तो यही है इसलिए नमो - समर्थकों ! आप जो सही कर रहे हो उसे जनता के समक्ष ज़रूर रक्खो मगर सिर्फ अपना पक्ष । दूसरे को नीचा दिखाना , उसकी गलतियों को उजागर करना , उसी के स्तर पर गिरकर उसी तरह की अभद्र भाषा में बात करना शोभा नहीं देता । मज़ा तो तब है बिना किसी को नीचे गिराए आप अपने कार्यों एवं व्यवहार द्वारा अपने आप को इतना ऊपर उठा लें कि सामने वाला स्वयं ही घुटने टेक दे ।
          तात्पर्य सिर्फ इतना है कि आपके इस विपरीत आचरण से कहीं मोदी जी की साख पर उल्टा असर ना हो जाए। संसार के नक्शे में हिंदुस्तान को एक मुकम्मल पहचान दिलाने वाले और अभी भी उसी प्रयास में लगे रहने वाले माननीय नरेंद्र मोदी जी को मेरा नमन है........
                                                                                       नीलिमा कुमार

Friday 3 June 2016

गतांक से आगे - स्पर्श चिकित्सा रेकी की सीमा और कार्यक्षमता की व्यापकता. Limits and range of SPARSH CHIKITSA - REIKI

दोस्तों 24 अप्रैल 2016 को मैंने अपने ब्लॉग में स्पर्श चिकित्सा रेकी क्या है, उसका अवतरण , उपयोग , विज्ञान की कसौटी और उसके व्यापक क्षेत्र की प्रारंभिक जानकारी से आप सबको अवगत कराया था।  इस बार हम आपको स्पर्श चिकित्सा रेकी की सीमा और कार्यक्षमता थोड़े विस्तृत रूप से बताने जा रहे हैं।
रेकी मुख्यतया तीन छेत्रों में अपना कार्य करती है -
1. शारीरिक , 2. मानसिक  एवं 3. भौतिक

शारीरिक कष्टों में रेकी का प्रभाव --
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रेकी में दुर्घटना अथवा किसी रोग के दौरान रक्त के तीव्र बहाव को तुरंत रोकने की अद्भुत क्षमता है ।
किसी भी चीज से जल जाने पर तुरंत रेकी उपचार से जलन, छाले और उसके निशान से बचा जा सकता है ।
रेकी में टूटी हुई हड्डी पर प्लास्टर लग जाने के बाद सामान्य से एक चौथाई समय में हड्डी को जोड़ने की अद्भुत क्षमता है ।
रेकी अर्थराइटिस में उसकी उग्रता के अनुसार स्थाई या अस्थाई रूप से कारगर होती है ।
रेकी द्वारा पित्त की थैली में पथरी होने पर ऑपरेशन ना कराने तक उसमें उठने वाले दर्द को रोका जा सकता है ।
किसी भी प्रकार की पैदाइशी शारीरिक विकृति को 15 से 20 प्रतिशत तक रेकी से ठीक किया जा सकता है ।
रेकी द्वारा कैंसर के अंतिम चरण के कष्टों को कुछ हद तक कम करके सहनेयोग्य  बनाया जा सकता है या यूँ कहें कि कष्टमय अंतिम सफर  को अकष्टकारी बनाया जा सकता है ।
रेकी कीमोथैरेपी व रेडियोथर्मी से होने वाले साइड इफेक्ट को पूर्णतया रोकने में सक्षम है।
इसी प्रकार अन्य रोगों की उग्रता एवं गहनता के आधार पर अलग-अलग सीमा का निर्धारण करते हुए आंशिक या पूर्ण रूप से रेकी द्वारा रोग को समाप्त किया जा सकता है।  उदाहरण स्वरुप -
     एसिडिटी,  कोलाइटिस,  अल्सर,  कब्ज,   खूनी बवासीर,  किडनी की पथरी , फोड़ा, गांठे,  लकवा,  ब्लडप्रेशर,  मांसपेशियों का दर्द , स्नायु दर्द,  सिर दर्द, माइग्रेन, धमनी में जमे रक्त के थक्के, हार्टअटैक, दमा (अस्थमा ),  ब्रोंकाइटिस,  दाग,  मुंहासे,  मुंह के छाले,  साइनस,  शरीर के किसी भी भाग में झनझनाहट , कान के रोग , उर्जा का ह्रास,  बेहोशी , संक्रमण , चर्म रोग,  थाइराॅएड,  डायबिटीज,  अर्थराइटिस, रूमेटाइड अर्थराइटिस, स्पाँडलाइटिस, जोड़ों में सूजन व दर्द,  सायटिका,  गर्दन, कंधा,  कमर,  पीठ कूल्हे आदि का दर्द,  हड्डी का टूटना व चटकना, मोच,  गर्दन, कंधे में अकड़न- जकड़न, आदि - आदि ।
विशेष --
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जन्मजात विकृति या  अक्षमताओं  को छोड़कर ऐसे रोग जहां किसी भी पद्धति का कोई चिकित्सक नहीं पहुंच पाता है,  वहां रेकी स्वयं पहुंचकर उस रोग का उपचार करती है।

मानसिक कष्टों में रेकी का प्रभाव---
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रेकी अनावश्यक क्रोध,  चिंता,  अनिद्रा को दूर कर जीवन में शांति भाव का संचार करती है ।
रेकी अवसाद,  हीनभावना व मानसिक संताप की स्थिति पर काबू पाने में पूरी तरह सक्षम है ।
अनजाने भय एवं भ्रामक प्रवृति से मुक्ति दिलाती है  रेकी।
रेकी में किसी प्रकार के व्यसन एवं आत्मविश्वास की कमी को दूर करने की अदभुत क्षमता है।
रेकी द्वारा हृदय पर लगे घावों से मुक्ति प्राप्त होती है एवं आपसी संबंधों को सुधारने में मदद मिलती है।
रेकी पूर्व जन्म में अर्जित नकारात्मक भावों से मुक्ति दिलाने में सक्षम है।
रेकी द्वारा नकारात्मक मानसिक स्थिति वाले लोगों की मानसिकता को सकारात्मक मानसिकता में बदला जा सकता है।
विपरीत स्थितियों में संतुलन बनाए रखने की अदभुत क्षमता का स्रोत है रेकी।
रेकी द्वारा वर्तमान काल के कर्म दोष के प्रभाव एवं आने वाले कष्टों के प्रभाव को कम किया जा सकता है लेकिन समाप्त नहीं किया जा सकता है।
रेकी पैदाइशी मानसिक विकृति में एक हद तक ही कारगर सिद्ध होती है।
रेकी नकारात्मक शक्तियों ( भूत-प्रेत )से लड़ने की अदभुत क्षमता रखती है।
विशेष --
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जन्मजात मानसिक विकृति या अक्षमता को 20 से 25% तक ही सुधारा जा सकता है।

भौतिक क्षेत्र में रेकी का प्रभाव ---
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रेकी घर, कार्यालय, कारखाना, दुकान, गाड़ी इत्यादि की नकारात्मक शक्तियों को दूर करने की क्षमता रखती है।
रेकी द्वारा व्यापार, परीक्षा, अचल संपत्ति की खरीद - बिक्री, चल-सम्पत्ति की सुरक्षा,  कोर्ट कचहरी के फैसले एवं छल-कपट रहित जमीन जायदाद के फैसले स्वयं के पक्ष में किए जा सकते हैं।
रेकी द्वारा घर,  गाड़ी एवं अपने सामान को सुरक्षा कवच में बांधकर रक्खा जा सकता है।
रेकी के पास खोए हुए व्यक्ति व सामान को ढूंढने की शक्ति होती है।
किसी विपरीत एवं कठिन परिस्थिति में समयसीमा देते हुए उचित मांग की जाए तो रेकी उसे अवश्य पूर्ण करती है।  जैसे -  रात के समय सूनसान जगह पर रास्ते में गाड़ी खराब हो जाए और आसपास कोई मिस्त्री उपलब्ध ना हो,  तो ऐसे कठिन समय में मात्र घर या किसी सुरक्षित स्थान तक सकुशल पहुँचने की उचित मांग को रेकी पूरा करती है ।
विशेष--
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रेकी व्यक्ति, समय, ज्ञान व  दूरी से परे है।  रेकी विधि के विधान से कभी नहीं लड़ती है।  रेकी करते समय या कर चुकने के बाद उसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।  किसी भी प्रकार के कार्यों के पूर्ण होने की संभावना तभी संभव है जब उसमें किसी प्रकार का छल- कपट या बेईमानी रेकी से ना की  जाए।
जी हाँ ! ऐसी ही है यह चमत्कारिक पद्धति रेकी।

दोस्तों इसी क्रम में अगली बार बहुत जल्द आपको इस महान स्पर्श चिकित्सा रेकी और चोरों द्वारा की गई रेकी ( जो अखबारों में निकलता है ) में क्या फर्क है, इससे आपको अवगत कराएंगे।
                                                                             धन्यवाद
                                                                         नीलिमा कुमार

Sunday 24 April 2016

स्पर्श चिकित्सा - " रेकी " : एक अदभुत पद्धति

दोस्तों ! सबसे पहले तो क्षमा चाहती हूँ कि बहुत समय बाद आज आप सबसे रूबरू हो रही हूँ । मैं एक रेकी चैनल हूँ, इसलिए आज स्पर्श चिकित्सा - रेकी से आप सबका परिचय कराना चाहती हूँ । आपसे आशा यही करती हूँ कि " अपने हाथ जगन्नाथ "की कहावत को चरितार्थ करती इस विद्या को समझकर अपना और अपने परिवार के साथ इस समाज का भी आप कल्याण अवश्य करेंगे । आपका यह प्रयास समाजहित में ही होगा। रेकी एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है , जिसके माध्यम से किसी रोगी की दैहिक , मनोदैहिक एवं मानसिक व्याधि को स्पर्श मात्र से ठीक किया जाता था। ऐसा माना जाता है की जीसस क्राइस्ट एवं महात्मा बुद्ध इस पद्धति से लोगों का उपचार करते थे । उनके बाद यह विद्या तिब्बत के मठों में सीमित रह गई क्योंकि इस विद्या का ज्ञान गुरु अपने शिष्यों को मौखिक रूप से ही देते थे इसलिए इसका स्वरूप दिन प्रतिदिन बदलता रहा किंतु इसका मूल सिद्धांत एवं स्पर्श चिकित्सा पद्धति नहीं बदली । रेकी अपने वर्तमान रूप में जापान के डॉक्टर मिकाऊ उसई के माध्यम से पुनः प्रचलित हुई । गुरु - शिष्य परंपरा में इस विद्या को डॉक्टर चियरो हयाशी व उसके बाद हवायो टकाटा ने सीखा ।हवायो टकाटा ने इस विद्या को पश्चिमी देशों में लोकप्रिय बनाया व उनसे यह विद्या समस्त विश्व में फैली । रेकी एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ " सर्वव्यापी ऊर्जा " है। इस विद्या में रेकी से प्रशिक्षित व्यक्ति जिसे माध्यम अथवा चैनल कहते हैं, ब्रह्मांड में फैली सर्वव्यापी उर्जा को अपने माध्यम से रोगी व्यक्ति के शरीर में स्पर्श द्वारा प्रवाहित करता है ।ऐसा माना जाता है कि हमारे समस्त रोगों की जड़ हमारे नकारात्मक विचार हैं जिनकी अधिकता से रोग हमारे स्थूल शरीर को ग्रसित कर लेते हैं । रेकी की साकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित कर चैनल नकारात्मक विचारों को शरीर से निकाल देता है जिससे व्यक्ति शारीरिक रूप से रोगमुक्त हो जाता है साथ ही मानसिक स्तर पर भी शांति का अनुभव करता है। रेकी का उपयोग ना केवल शारीरिक रोगों को ठीक करने के लिए होता है अपितु मानसिक रोगों व विपरीत स्थितियों के संतुलन में भी इसका उपयोग निश्चित परिणाम देता है। हाँ, किसी भी भौतिक कार्य को करने में उस कार्य व भावना का सही होना जरूरी है अन्यथा रेकी कारगर साबित नहीं होगी । रेकी समय, ज्ञान एवं दूरी से परे है। यह कभी भी, कहीं भी और किसी को भी दी जा सकती है । अपने स्थान पर बैठे-बैठे रेकी चैनल हजारों मील दूर बैठे व्यक्ति को रेकी भेज सकता है, सबसे अच्छी बात यह है कि रेकी कोई भी व्यक्ति सीख सकता है। इसके लिए व्यक्ति विशेष का बहुत अधिक पढ़ा लिखा होना बुद्धिमान होना या अत्यंत एकाग्र बुद्धि होना आवश्यक नहीं है , लेकिन रेकी सीखने या इलाज कराने में मन में विश्वास और समर्पण का होना जरूरी है। वैसे भी रेकी आध्यात्म का एक स्वरुप है ना कि पूजा पाठ का। यदि हम रेकी को एक विज्ञान के रूप में देखें तो अत्यंत सहज व सरल प्रतीत होती है। विश्व में सभी चीजें परमाणु से बनी है जिसमें इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन व न्यूटोन होते हैं । इन सभी घटकों की स्पंदन गति सामान्य रूप से गति करती है जिसके कारण एक बच्चा किसी भी रोग व मनोदैहिक रोग से परे होता है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है उसके विचारों पर क्रमशः माता- पिता, समाज एवं वातावरण का प्रभाव पड़ता है , धीरे धीरे यही प्रभाव उसका स्वभाव निर्धारित करता है। इस पूरी प्रक्रिया में उसके शरीर में विद्यमान परमाणुओं के घटकों की स्पंदन गति धीमी अथवा तेज हो जाती है जोकि कालांतर में मनोदैहिक एवं शारीरिक रोगों का कारण बनती है। रेकी चैनल उस स्थान विशेष व उससे संबंधित चक्रों पर ऊर्जा प्रवाहित कर रोगी की स्पंदन गति को मूल गति पर वापस ला देता है, जिससे वह व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है। रेकी मानव शरीर के अतिरिक्त पेड़ - पौधों , भौतिक लक्ष्यों की प्राप्ति व संबंधों को सुधारने में भी उतनी ही प्रभावी है। यह माने कि रेकी गूंगे का गुड़ है जिसे वह गूंगा ही महसूस कर सकता है जिसने गुड़ खाया हो। रेकी से जुड़ने के बाद ही इसके अप्रत्याशित अनुभवों व परिणामों को समझा व महसूस किया जा सकता है। सार रूप में जिस बीमारी तक किसी और विधा के ज्ञाता नहीं पहुँच पाते वहाँ रेकी स्वयं पहुंचती है। रेकी एक चैनल के शरीर को माध्यम बना रोगी व्यक्ति के शरीर में पहुंचकर रोग की जड़ तक स्वयं पहुंचती है और उसका उपचार करती है। यह पद्धति उस विशालकाय समुद्र की तरह है जिसमें जितनी बार गोते लगाएंगे उतनी बार एक ना एक मोती अवश्य मिलेगा। अगली बार आपको विस्तार से बताएंगे कि इस अदभुत पद्धति की कार्यक्षमता कितनी वृहद् है । धन्यवाद । नीलिमा कुमार

Sunday 13 March 2016

" बचपन "

किसी ने मुझे मेरा बचपन याद दिला दिया और ये चन्द पंक्तियाँ उतर आयीं मेरे ज़हन में--
इन पंक्तियों का एक -एक लफ्ज़ मेरे वज़ूद का हिस्सा है,  इन्हें मैंने जिया है। ये ख़्वाब नहीं हकीकत है. ......

आज के इस बचपन में
हमारा सा बचपन कहाँ ?

वो भाई और पापा के साथ
छत पर चढ़ मुंडेर पर मोमबत्ती का चिपकाना,
दीवाली की पूजा में बैठ माँ का चिल्लाना -
अरे मुहुर्त निकला जा रहा है
और हमारा अपने हाथों से बनाए उस हैलीकॉप्टर वाले कण्डील में उलझा रहना।
हमारा सा बचपन कहाँ ?

आँगन की हर नाली में कपड़ा ठूँस
उसमें वो गुलाबी रंग वाला पानी भरना
और घण्टों उस प्यारे से स्वीमिंग पूल का आनन्द उठाना,
रंग पुते हाथों से गुझिया उठा लेना
पर माँ की प्यारी चिंता भरी डांट -
एक गुझिया हमें अपने हाथों से खिलाना,
हमारा सा बचपन कहाँ ?

स्कूल का आखिरी दिन - बस्ते का बिस्तरे पर फेंका जाना
भरी गर्मी और वो पड़ोसी के बाग से आम चुराकर खाना
दिन में चार बार नहाना,
छुपन - छुपाई , गिट्टीफोड़ या ऊँच-नीच के साथ
फ़िक्र के बिना छुट्टियों का निकलते जाना ।

और आज का बचपन,
गर्मी की छुट्टियाँ
प्रतियोगिता या सलाना इम्तिहान की तैयारी में गुज़ारता है
आम को चाकू से काट प्लेट में सजाकर खाता है
शरीर के पसीने को
AC की ठण्डी हवा से सुखाता है
सर्दी के साथ गर्मी की छुट्टी को खोजता रह जाता है।

आज के इस बचपन में
हमारा सा बचपन कहाँ ?
हमारा सा बचपना कहाँ ?
                                                 नीलिमा कुमार