दिए की लौ से - ए जवान !
दिल में तुम हो ,
और हमारे सजदों में भी तुम हो ।
हमारी चिन्ताओं के साथ
अपनी चिता तुम सजाते हो।
तुम जिस बाती का हिस्सा हो
उसका दिल भी रोता होगा ,
तो वहीं गर्व से
अश्रुपूरित नम आँखो संग
मस्तक भी ऊँचा होता होगा।
ये न सोचना कि तुम अकेले हो ,
मेरा देश ही वो दियाली है
जो अपनी बाती को
संजोकर रखता है ।
और तुम वो लौ -
जो खुद जलकर
हमें हर रोज़
एक नया सबेरा देते हो ।
ए जवान ! इसीलिए तो तुम
दिल में हो और सजदों में भी ।
आप सबको दीपावली मंगलमय हो
नीलिमा कुमार
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