Wednesday 10 June 2015

मीडिया : एक सशक्त मार्गदर्शक

एक सशक्त अस्त्र - मीडिया....जो समाज को पहचान कराता है सही या गलत की। मीडिया चाहे अखबार की हो या TV की , जनता को जागृत करने का सबसे सरल और असरदार तरीका है।इस समय मैं सम्बोधित कर रहीं हूँ अखबार की मीडिया को। उसमें भी विशेषकर दैनिक जागरण को , जो पूरे हिन्दुस्तान का चहेता है। होली ,दीवाली, राखी, मदर्स डे, वैलेन्टाईन डे आदि आयोजनों पर कभी कोई प्रतियोगिता तो कभी सन्देशों का आगाज़ करता है दैनिक जागरण। सैकड़ों लोग जो न गद्य जानते हैं न पद्य, फिर भी उनके दिल उनसे लेखनी चलवा ही लेते हैं। उत्तर प्रदेश में रहती हूँ इसलिए बता सकती हूँ कि आजकल हर रविवार को लखनऊ का एक चौराहा जगमगा उठता है दैनिक जागरण के प्रयास से। हर रविवार किसी एक चौराहे पर जनसैलाब देखकर लगता है कि - हाँ अभी भी लोग सिनेमा , टी. वी. , या कम्प्यूटर से हटकर अपने आपको मनोरंजन के पुराने माध्यमों से पहचानना चाहते हैं।लोग खुली हवा में खुश होना सीख रहें हैं। ताज़्जुब होता है यह देखकर कि युवाओं की संख्या भी लगभग बराबर की ही होती है और यही नहीं दैनिक जागरण अखबार अकेले ही डी.जे. डाॅल्स आदि कार्यक्रमों के लिए सैकड़ों की भीड़ एकत्रित कर लेता है। सोचने की बात है कि यही आगाज़ अगर 15 अगस्त , 26 जनवरी , शहीद दिवस या ऐसे ही किसी आयोजन पर किया जाए, तो क्या देशभक्ति की तरंगों से ये नौजवान अछूते रह पाएगें ? अपनी रचना छपवाने के लिए कुछ तो मेहनत करेंगें ही। कहीं न कहीं उन शहीदों और उनकी कुर्बानियों को जानेगें ही। मेरी अपील है हर अखबार , हर मीडिया से कि दैनिक जागरण ( उत्तर प्रदेश ) की तरह वो लोग भी ऐसा ही कुछ अनोखा प्रयास अवश्य करें,जिससे धीरे धीरे ही सही पर हमारे युवाओं को देश के प्रति सजग और जिम्मेदार बना सकें, उन्हें अपने तिरंगे का सम्मान करना सिखा सकें। ऐसा नहीं है कि वो कुछ करना नहीं चाहते , उन्हें तो बस एक सही दिशा की ज़रूरत है। यहाँ एक बात ज़रूर कहूँगी ---- हम - आप समझदार हैं , पहले परिवार के भविष्य के वारे में सोचने लगते हैं , इसलिए सड़क पर किसी की मदद को नहीं रूकते।हम संस्थाओं में दान तो करते हैं पर उनके साथ समय व्यतीत नहीं करना चाहते, पर युवा ऐसा करते हैं, और कमाल ये है कि इस बात का ढ़िंढोरा भी ये लोग नहीं पीटते हैं। मैनें स्वयं देखा है। ये तो कुछ उदाहरण मात्र हैं। कहने का तात्पर्य मात्र इतना है कि अगर ये मीडिया कुछ करने पर उतर आए तो हमारे इन युवाओं को सही मार्गदर्शन देकर उनसे वो करवा सकती है जो युवाओं को अपने परिवार के साथ -साथ अपने देश एवं समाज के लिए करना चाहिए। अर्थात बूंद - बूंद से घड़ा भरता है और एक - एक धारा से मिलकर सागर। ज़रूरत है तो सही दिशा , धैर्य और व़क्त की। अगर आप मेरे विचारों से सहमत हों तो इसे मीडिया तक पहुँचाने के प्रयास में मेरी मदद अवश्य करें। जय हिन्द