Friday, 3 June 2016

गतांक से आगे - स्पर्श चिकित्सा रेकी की सीमा और कार्यक्षमता की व्यापकता. Limits and range of SPARSH CHIKITSA - REIKI

दोस्तों 24 अप्रैल 2016 को मैंने अपने ब्लॉग में स्पर्श चिकित्सा रेकी क्या है, उसका अवतरण , उपयोग , विज्ञान की कसौटी और उसके व्यापक क्षेत्र की प्रारंभिक जानकारी से आप सबको अवगत कराया था।  इस बार हम आपको स्पर्श चिकित्सा रेकी की सीमा और कार्यक्षमता थोड़े विस्तृत रूप से बताने जा रहे हैं।
रेकी मुख्यतया तीन छेत्रों में अपना कार्य करती है -
1. शारीरिक , 2. मानसिक  एवं 3. भौतिक

शारीरिक कष्टों में रेकी का प्रभाव --
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रेकी में दुर्घटना अथवा किसी रोग के दौरान रक्त के तीव्र बहाव को तुरंत रोकने की अद्भुत क्षमता है ।
किसी भी चीज से जल जाने पर तुरंत रेकी उपचार से जलन, छाले और उसके निशान से बचा जा सकता है ।
रेकी में टूटी हुई हड्डी पर प्लास्टर लग जाने के बाद सामान्य से एक चौथाई समय में हड्डी को जोड़ने की अद्भुत क्षमता है ।
रेकी अर्थराइटिस में उसकी उग्रता के अनुसार स्थाई या अस्थाई रूप से कारगर होती है ।
रेकी द्वारा पित्त की थैली में पथरी होने पर ऑपरेशन ना कराने तक उसमें उठने वाले दर्द को रोका जा सकता है ।
किसी भी प्रकार की पैदाइशी शारीरिक विकृति को 15 से 20 प्रतिशत तक रेकी से ठीक किया जा सकता है ।
रेकी द्वारा कैंसर के अंतिम चरण के कष्टों को कुछ हद तक कम करके सहनेयोग्य  बनाया जा सकता है या यूँ कहें कि कष्टमय अंतिम सफर  को अकष्टकारी बनाया जा सकता है ।
रेकी कीमोथैरेपी व रेडियोथर्मी से होने वाले साइड इफेक्ट को पूर्णतया रोकने में सक्षम है।
इसी प्रकार अन्य रोगों की उग्रता एवं गहनता के आधार पर अलग-अलग सीमा का निर्धारण करते हुए आंशिक या पूर्ण रूप से रेकी द्वारा रोग को समाप्त किया जा सकता है।  उदाहरण स्वरुप -
     एसिडिटी,  कोलाइटिस,  अल्सर,  कब्ज,   खूनी बवासीर,  किडनी की पथरी , फोड़ा, गांठे,  लकवा,  ब्लडप्रेशर,  मांसपेशियों का दर्द , स्नायु दर्द,  सिर दर्द, माइग्रेन, धमनी में जमे रक्त के थक्के, हार्टअटैक, दमा (अस्थमा ),  ब्रोंकाइटिस,  दाग,  मुंहासे,  मुंह के छाले,  साइनस,  शरीर के किसी भी भाग में झनझनाहट , कान के रोग , उर्जा का ह्रास,  बेहोशी , संक्रमण , चर्म रोग,  थाइराॅएड,  डायबिटीज,  अर्थराइटिस, रूमेटाइड अर्थराइटिस, स्पाँडलाइटिस, जोड़ों में सूजन व दर्द,  सायटिका,  गर्दन, कंधा,  कमर,  पीठ कूल्हे आदि का दर्द,  हड्डी का टूटना व चटकना, मोच,  गर्दन, कंधे में अकड़न- जकड़न, आदि - आदि ।
विशेष --
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जन्मजात विकृति या  अक्षमताओं  को छोड़कर ऐसे रोग जहां किसी भी पद्धति का कोई चिकित्सक नहीं पहुंच पाता है,  वहां रेकी स्वयं पहुंचकर उस रोग का उपचार करती है।

मानसिक कष्टों में रेकी का प्रभाव---
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रेकी अनावश्यक क्रोध,  चिंता,  अनिद्रा को दूर कर जीवन में शांति भाव का संचार करती है ।
रेकी अवसाद,  हीनभावना व मानसिक संताप की स्थिति पर काबू पाने में पूरी तरह सक्षम है ।
अनजाने भय एवं भ्रामक प्रवृति से मुक्ति दिलाती है  रेकी।
रेकी में किसी प्रकार के व्यसन एवं आत्मविश्वास की कमी को दूर करने की अदभुत क्षमता है।
रेकी द्वारा हृदय पर लगे घावों से मुक्ति प्राप्त होती है एवं आपसी संबंधों को सुधारने में मदद मिलती है।
रेकी पूर्व जन्म में अर्जित नकारात्मक भावों से मुक्ति दिलाने में सक्षम है।
रेकी द्वारा नकारात्मक मानसिक स्थिति वाले लोगों की मानसिकता को सकारात्मक मानसिकता में बदला जा सकता है।
विपरीत स्थितियों में संतुलन बनाए रखने की अदभुत क्षमता का स्रोत है रेकी।
रेकी द्वारा वर्तमान काल के कर्म दोष के प्रभाव एवं आने वाले कष्टों के प्रभाव को कम किया जा सकता है लेकिन समाप्त नहीं किया जा सकता है।
रेकी पैदाइशी मानसिक विकृति में एक हद तक ही कारगर सिद्ध होती है।
रेकी नकारात्मक शक्तियों ( भूत-प्रेत )से लड़ने की अदभुत क्षमता रखती है।
विशेष --
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जन्मजात मानसिक विकृति या अक्षमता को 20 से 25% तक ही सुधारा जा सकता है।

भौतिक क्षेत्र में रेकी का प्रभाव ---
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रेकी घर, कार्यालय, कारखाना, दुकान, गाड़ी इत्यादि की नकारात्मक शक्तियों को दूर करने की क्षमता रखती है।
रेकी द्वारा व्यापार, परीक्षा, अचल संपत्ति की खरीद - बिक्री, चल-सम्पत्ति की सुरक्षा,  कोर्ट कचहरी के फैसले एवं छल-कपट रहित जमीन जायदाद के फैसले स्वयं के पक्ष में किए जा सकते हैं।
रेकी द्वारा घर,  गाड़ी एवं अपने सामान को सुरक्षा कवच में बांधकर रक्खा जा सकता है।
रेकी के पास खोए हुए व्यक्ति व सामान को ढूंढने की शक्ति होती है।
किसी विपरीत एवं कठिन परिस्थिति में समयसीमा देते हुए उचित मांग की जाए तो रेकी उसे अवश्य पूर्ण करती है।  जैसे -  रात के समय सूनसान जगह पर रास्ते में गाड़ी खराब हो जाए और आसपास कोई मिस्त्री उपलब्ध ना हो,  तो ऐसे कठिन समय में मात्र घर या किसी सुरक्षित स्थान तक सकुशल पहुँचने की उचित मांग को रेकी पूरा करती है ।
विशेष--
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रेकी व्यक्ति, समय, ज्ञान व  दूरी से परे है।  रेकी विधि के विधान से कभी नहीं लड़ती है।  रेकी करते समय या कर चुकने के बाद उसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।  किसी भी प्रकार के कार्यों के पूर्ण होने की संभावना तभी संभव है जब उसमें किसी प्रकार का छल- कपट या बेईमानी रेकी से ना की  जाए।
जी हाँ ! ऐसी ही है यह चमत्कारिक पद्धति रेकी।

दोस्तों इसी क्रम में अगली बार बहुत जल्द आपको इस महान स्पर्श चिकित्सा रेकी और चोरों द्वारा की गई रेकी ( जो अखबारों में निकलता है ) में क्या फर्क है, इससे आपको अवगत कराएंगे।
                                                                             धन्यवाद
                                                                         नीलिमा कुमार

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