Tuesday, 1 December 2015

क्या हम वास्तव में मर्यादित हैं ?

लेखक और मीडिया , दोनों ऐसी ताकत हैं जो आवाम की सोच की दिशा ही बदल देती है। सोचिए ! जिस वक्तव्य के लिए आज आमिर खान को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है और उसे देशद्रोही करार दे दिया है , बकौल मीडिया  वो आमिर की पत्नी किरण राव ने कहा था। वो तो हिन्दू है , उसे देशद्रोही क्यों नहीं कहा गया ? मैं हिन्दू हूँ पर उससे पहले एक हिन्दुस्तानी । हिन्दुस्तानी सभ्यता कहती है कि बेगुनाह को सज़ा नहीं मिलनी चाहिए , चाहे वो किसी भी धर्म का हो।
     मेरा role model फिल्म का हीरो नहीं बल्कि देश के लिए शहीद होने वाला एक जवान है। राजनीति से बहुत दूर हूँ । न किसी का विरोध न तरफदारी , सिर्फ एक देशभक्त हिन्दुस्तानी हूँ। मैनें जो लिखा उसका तात्पर्य मात्र इतना था कि क्या किसी का एक कथन हमारी अखण्डता और गौरव को इतना विचलित कर सकता है कि हम अपनी मर्यादा , भाषा और सन्तुलन सब कुछ खो बैठें ? हम सब पढ़े लिखे लोग हैं फिर भी यह कहीं नहीं झलक रहा कि हमारी स्वयं की विचारशक्ति का इस्तेमाल हो रहा है। क्या किसी हिन्दू icon ने कभी कुछ ऐसा नहीं कहा या किया कि उसे आतंकी या देशद्रोही करार दिया जा सके ? मैं ऐसा सोचती हूँ कि हिन्दू , मुसलमान , सिख या ईसाई आतंकी नहीं होता है बल्कि विकृत मानसिकता का शिकार  व्यक्ति आतंकी है जिसकी कोई कौम नहीं होती ।
        यह पोस्ट लिखने का मेरा मकसद किसी को चोट पहुँचाना या अपनी सफाई देना बिलकुल नहीं है। दरअसल जयपुर के एक रचनाकार की रचना और आमिर के साथ कुत्ते के कार्टून ने मुझे चोट पहुँचायी क्योंकि भारत की संस्कृति और सभ्यता इसकी इज़ाजत नहीं देती।बस मेरा एक विचार है कि सरहद पर की गई लड़ाई का मकसद दूसरा होता है पर इस व़क्त देश में जिस प्रकार क्रिया प्रतिक्रया चल रही है उससे यही प्रतीत हो रहा है कि आज हमारा देश भी अन्य देशों की तरह ही व्यवहार कर रहा है और अपने गौरव को भूलकर उन्हीं जैसे निम्न स्तर पर उतर कर उनसे मुकाबला कर रहा है , क्या ये हमारे देश और हमारी मानसिकता का पतन नहीं है ?
यह उन लोगों के लिए है जो भेड़चाल अपना रहें हैं।

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