दो दिन पहले face book पर ही दो पोस्ट देखी। लिखा था - असहिष्णु खान की फिल्म छोड़कर पैसे बचाकर कुछ नया करते लोग। दूसरी पोस्ट थी - दिलवाले न देखकर यहाँ के लोगों ने एक अनूठे कार्य को अंजाम दिया।
दोस्तों ! शाहरूख़ या आमिर की जिन बातों पर हम सबने मथानी बनकर देश को मथ डाला और नफरत से ही सही पर परिणामस्वरूप एक नेक काम हुआ और बहुत से भूखे इन्सानों का पेट भर गया , तो आपको नहीं लगता कि अगर हम सब उसी शिध्द्त से एक बार फिर मथानी चला लें तो शायद निर्भया के गुनहगार उस अफरोज को मुकम्मल सजा दिला पाएं और निर्भया को इन्साफ ? हमारे कानून में नाबालिक की उम्र 18 वर्ष से घटाकर 16 वर्ष की बात जो चल रही है , क्या कानून का ये बदलाव काफी होगा ? मेरे विचार से जो शख़्स 17 वर्ष की उम्र में बलात्कार कर सकता है वो इसका मतलब तो ज़रूर जानता ही होगा। ये कोई मोटरसाईकिल या कार चलाना तो है नहीं कि balance बिगड़ गया इसलिए गिर पड़े। सोचिए ! क्या बलात्कार के सन्दर्भ में एक लड़के की आयु पर विचार किया जाना उचित है , वो भी आज के परिप्रेक्ष्य में ? आज जबकि sex इतना खुला विषय बन चुका है एवं internet के द्वारा जो जानकारी चाहिए उसे कोई भी , कभी भी प्राप्त कर सकता है। अगर मेरे विचार से आप सहमत हों तो अपने तरीके से आवाज़ ज़रूर उठाएं।
Tuesday, 22 December 2015
निर्भया का गुनहगार : नाबालिक किस परिप्रेक्ष्य में ?
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