Friday, 18 May 2018

डेंगू या वायरल - भ्रांतियाँ एवं सच : जानिए और रहिए भयमुक्त

     
दोस्तों ! आजकल मुख्यत:  दिल्ली और उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में वायरल और डेंगू बुखार का प्रकोप बहुत भीषण रूप ले चुका है । ना जाने कितनी मौतें हो चुकी हैं । मैं डॉक्टर नहीं हूँ लेकिन डॉक्टर से पूछ कर NET  पर सर्च कर के एक साधारण भाषा में इस लेख को लिखने का प्रयास किया है । डेंगू को लेकर कैंसर की तरह का जो डर लोगों के चेहरे पर दिखाई पड़ रहा है, उस डर ने मुझे प्रेरित किया है कि आम भाषा में आम आदमी के लिए एक लेख लिखूँ ।
       डेंगू के बारे में जो लोगों के मन में अफरा - तफरी मची हुई है उसके कुछ कारण हैं , जो हमें समझ आ रहे हैं --
a - आधी अधूरी जानकारी
b - अफवाहों के आधार पर इलाज
c - कुछ  डॉक्टरों द्वारा मरीजों की लाचारी का फायदा उठाना
d -  ख़ून की महंगी जांचें
e - महंगी दवाईयाँ
f -  आखरी बात इंसान के दिमाग पर डर का हावी होना
       तो आइए सिलसिलेवार जानने की कोशिश करते हैं वायरल और डेंगू के बारे में। किन परिस्थितियों में  हमें क्या करना चाहिए,  इसके बारे में भी जानते हैं।
1 -  वायरल और डेंगू  है क्या ?   यह दोनों ही एक ऐसे बुखार है जो कि एक खास तरह के वायरस के शरीर में प्रवेश करने से होते हैं। इसमें से डेंगू बुखार  चार तरह का होता है अर्थात डेंगू के चार तरह के वायरस होते हैं । किसी एक प्रकार के वायरस से जब डेंगू होता है तो उस वायरस के प्रति आपका शरीर immune हो जाता है,  इसका अर्थ है कि उस वायरस से दोबारा कभी डेंगू नहीं होगा लेकिन बचे हुए तीन वायरस से डेंगू दोबारा हो सकता है । अगला डेंगू बुखार पहले वाले से ज्यादा गंभीर हो सकता है ।
2 -  क्योंकि यह वायरस है इसलिए यह किसी भी तरह की दवाई से नहीं मरते और आज तक इसकी कोई दवाई बनी ही नहीं है ।
3 - इस वायरस से प्रभावित लोगों को एक खास प्रकार के मच्छरों द्वारा काट लेना और फिर उन्हीं मच्छरों के द्वारा स्वस्थ व्यक्ति को काट लेने पर ,  स्वस्थ व्यक्ति को भी यह बुखार हो जाता है । यह वायरस हवा द्वारा , जुकाम, खासने, छींकने या  मरीज को छूने मात्र से कभी भी नहीं फैलता है।
4 - यह खास मच्छर सूर्योदय  से लेकर सूर्यास्त तक ही क्रियाशील रहते हैं अर्थात आप अपने आप को मच्छरों से दिन में बचाएँ  ना कि रात में।
5 - ये मच्छर अन्धेरी , ठण्डी और छाँव वाली जगह पर रहना पसंद करते हैं।
6 - रक्खे हुए साफ पानी में ये मच्छर breed करते हैं एवं प्रजनन क्षेत्र के 200 मीटर के अन्दर ही उड़ते हैं । पानी सूख जाने के बाद भी  12 महीनों तक जिन्दा रह सकते हैं । इसलिए  पीने का पानी ढककर रक्खें एवं बाकी जगह मिट्टी के तेल अथवा मच्छर मारने की दवा का छिड़काव करें ।
7 - डेंगू का मच्छर ऊँचाई में लगभग मनुष्य के घुटनों  तक ही उड़ सकता है इसलिए नारियल तेल लीजिए और तलवे से लेकर घुटनों के ऊपर तक पूरे पैर में सुबह से ही लगा लीजिए । नारियल तेल एंटीबायोटिक होता है।
8 -  खून में प्लेटलेट्स किसी भी वायरल फीवर में गिरते ही हैं।  बुखार में प्लेटलेट्स  गिरने से यह अनुमान लगा लेना की डेंगू  ही है यह गलत है। हाँ !  अगर यह प्लेटलेट्स 20 हजार से नीचे  आ गए हैं तो यह चिन्ता का विषय है । ऐसे में तुरन्त बिना समय गवाए doctor के पास जाएँ ।  वैसे प्लेटलेट्स गिरने पर एक होम्योपैथिक दवा है  EUPATORIUM PERFOIAM  200  ( Liquid dilution homeopathic medicine )  इसकी  3 - 4 बूंदे  प्रत्येक  2 - 2 घंटे पर साधारण पानी में डालकर मात्र 2 दिन पिलाएँ । गिरते हुए प्लेटलेट्स ठीक होना शुरू हो जाएंगे। recovery phase में आते ही platelet counts अपने आप बढना शुरू हो जाते हैं ।
9 -  किसी भी प्रकार का बुखार हो कम से कम 5 लीटर पानी जरूर पिएं । इसके अतिरिक्त नारियल पानी , नींबू नमक चीनी की शिकंजी , अनार का रस , बेल का शरबत ,पपीते का जूस, चुकन्दर का रस, कद्दू का 150 ml जूस 1 चम्मच शहद में मिलाकर,  omega 3, विटामिन सी की गोली,  कीवी फल,  इत्यादि जितनी अधिक मात्रा में ले सकते हैं ले। साथ ही गिलोय की बेल लगभग 8 इंच का टुकड़ा लेकर एक गिलास पानी में उबालें , जब पानी आधा रह जाए तो ठंडा करके मरीज को पिलाएं।  पानी और गिलोय अवश्य दें और उसके साथ ऊपर दी गई चीजों में से कम से कम   2-3 चीजें और दें।
10 -  तीखा, मसालेदार, भारी खाना न खाएँ । चाय, कॉफी, शराब, धूम्रपान न करें । प्रत्येक  2-2 घण्टे पर कुछ न कुछ खिलाते रहें ।
11 -  किसी भी प्रकार का वायरल बुखार 8 से 10 दिन का समय लेकर अपने आप ठीक हो जाता है । Doctor की सलाह लेकर कम से कम 2 दिन तक  दिन में तीन या चार बार  plain  Paracetamol  या Crocin Advance   खिलाएँ ।
12 - यदि तेज बुखार नहीं है , कमज़ोरी नहीं है और उसके साथ पानी और खाना उचित मात्रा में ले रहे हैं,  साथ ही हर 2-3 घण्टे पर urine pass हो रही है और प्लेटलेट्स 50 हजार से ज्यादा है तो घबराने वाली कोई बात नहीं है। हाँ ! यदि प्लेटलेट्स 20 हजार से नीचे आ गए हैं और नाक, आँख, दाँत या urine के साथ खून आने लगा है तो स्थिति  जानलेवा हो सकती है । इसलिए 50 हजार तक प्लेटलेट्स आते ही डेंगू का टेस्ट तुरन्त करवाएँ।
13 - डेंगू का टेस्ट अगर positive आता है तब क्या करें -- सबसे पहले तो घबराएं नहीं । एक से डेढ़ हफ्ते में वायरल अपने आप ही ठीक हो जाता है।  लगातार ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाएं मरीज को और ध्यान रक्खें कि  हर दो से 3 घंटे में यूरिन pass  हो रही है या नहीं ? यदि हाँ तो चिंता की कोई बात नहीं है परन्तु urine यदि pass नहीं हो रही है तो तुरन्त मरीज को hospital लेकर जाएं ।
14 - डेंगू में बुखार रहना खतरनाक नहीं होता बल्कि बुखार उतर जाने के बाद नीचे  बताए लक्षण का आना थोड़ा सा चिंता जनक होता है किंतु यदि रोगी लगातार पानी पी रहा है और हर 2 घंटे के बाद उसे यूरिन पास हो रहा है एवं वह पूर्णतया विश्राम कर रहा है तो घबराने वाली कोई बात नहीं है।
15 - डेंगू बुखार के कुछ लक्षण हैं जो  दिखाई पड़ते ही तुरंत डॉक्टर को दिखाएँ --
जोड़ों में दर्द , बदन दर्द, सिर दर्द  एवं आँखों में दर्द
यदि लो और हाई BP में 40 से अधिक का अंतर आए,
लगातार पेट में हल्का-हल्का दर्द बना रहे
शरीर पर लाल चकतों का बनना।
जी मिचलाना , उल्टी आना
दस्त लगना
भूख कम लगना
तेज ठण्डी देकर बुखार आना
साँस लेने में दिक्कत
डेंगू की गम्भीर स्थिति में आँख , दाँत और नाक से खून आना
16 - जरा सा आराम होने पर शारीरिक श्रम करना रोगी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। खान-पान सही रखने के साथ-साथ पूरा आराम बेहद आवश्यक है।
17 - डेंगू का उचित इलाज रोज़ाना कम से कम 5 लीटर पानी, सन्तुलित आहार,     कुछ खास तरह के फल एवं सब्जियों के रस,  नित्य कुछ व्यायाम एवं स्वयं की रोग प्रतिरोधक क्षमता ही है। कृपया अपने immune system को चुस्त-दुरुस्त रक्खें क्योंकि यही डेंगू बुखार से लड़ाई लड़ कर आपको बचा सकता है । अहम बात यह है कि अभी तक डेंगू की कोई वैक्सीन नहीं बनी है ।
       दोस्तों ! दीपावली के साथ ठंड की शुरुआत होती है और ठंड के साथ मच्छर अपने आप समाप्त होने लगते हैं इसलिए सभी से अनुरोध है कि अक्टूबर के अंत तक मच्छरों से अपने आपको बचा कर रखें और धैर्य पूर्वक  अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा स्वयं करें ।
                                                                                          धन्यवाद
                                                                                      नीलिमा कुमार

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