दोस्तों!
जिनके 10 साल से लेकर 20 - 21 साल तक के बच्चे हैं कृपया उन्हें इस वीडियो को देखने एवं समझने की बहुत जरूरत है। सभी माता पिता से अनुरोध है कि अपने व्यस्ततम् समय में से रोज़ अपने बच्चे के लिए ज्यादा से ज्यादा वक्त निकालने की कोशिश करें और उसकी एक एक बात को ध्यान से सुनें एवं उसकी परेशानियों से उसे बाहर निकालें। खासकर अगर बच्चा अलग जाकर mobile पर कोई game खेल रहा है तो ये खतरे की घण्टी है आपके लिए । खुद सम्भलिए और बच्चे को सम्भालिए वर्ना आप अपने बच्चे को हमेशा के लिए खो देंगे फिर चाहे बेटा हो या बेटी। कभी कभी हम सोचते हैं कि हमारा बच्चा सब सम्भाल लेगा, वो बहुत strong है किन्तु सच ये नहीं होता। जब माँ - बाप के अपने प्रति इस विश्वास पर बच्चा खुद को खरा नहीं पाता है तो वो अंदर ही अंदर टूटने लगता है , यहीं से शुरूआत होती है अवसाद की या कभी कभी बच्चा आपसे कुछ कहना चाहता है पर आपके पास इतना समय ही नही होता है कि आप उसकी अनकही बातों को समझने का प्रयास करें। अपना समय देते हुए धैर्य के साथ उसके मन से उन बातों को निकालने का प्रयास कीजिए, जो वो आपको बताना चाहता है । जरूरत हो तो doctor की मदद लीजिए । कैसी शर्म ? बच्चा तो आपका है, उसे कुछ हुआ तो जिन्दगी भर का दर्द आपके खाते में आएगा , समाज के खाते में नहीं। और सबसे बड़ी बात हमें ये समझनी होगी कि आज की जिन्दगी और 15 - 20 साल पहले की जिन्दगी में ज़मीन आसमान का अन्तर है। हम माने न माने आज जिन्दगी इतनी आसान नहीं रह गयी है। इसीलिए सबसे पहले हमें एक सोच को अपनी जिन्दगी से बाहर फेंकना होगा - हमारे समय में तो ऐसा होता था, हम कर लेते थे तुमसे तो कुछ नहीं होगा।
दोस्तों ! आज अखबार की एक खबर ने मुझे ये सब लिखने पर मजबूर कर दिया । मैं लखनऊ में रहती हूँ और आज के अखबार की एक खबर आप सब तक पहुँचा रही हूँ । अगर मेरा ये प्रयास किसी के भी काम आ सका तो मैं समझूंगी कि मैंने अपनी जिंदगी में कोई एक काम तो अच्छा किया। आप सभी से आशा करती हूँ कि आप इसे share ज़रूर करेंगे ।
Saturday, 9 September 2017
Read seriously: Blue Whale game या मौत का खेल ? क्या , क्यों, कैसे .. ?
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