अर्धसैनिक बल को " शहीद " का दर्जा मिलना चाहिए या नहीं ?
दोस्तों ! मैंने जो लिखा है वो थोड़ा लम्बा ज़रूर है पर पढ़कर अपनी राए ज़रूर दीजिएगा। मुझे उम्मीद है कि आप सब मेरी इस बात से सहमत होंगे।
" शहीद " शब्द का अर्थ॔ कितना व्यापक हो सकता है, वो मैंने जाना अपने साथ जुड़ी एक सच्ची घटना से।
सन् 2005 में मेरा और मेरे परिवार का जाना हुआ लद्दाख । वजह थी घूमने से ज़्यादा कारगिल ,बटालिक , और सियाचिन बाॅर्डर के जवानों की ज़िन्दगी को समझना क्यों कि मैंने अपनी माँ से आज़ादी की लड़ाई की सच्ची घटनाओं का सजीव चित्रण सुना था , इसीलिए बचपन से ही मेरे मन में जवानों के प्रति सम्मान कूट कूट कर भरा है। इस ख्वाहिश को साकार किया हमारे पारिवारिक मित्र ब्रिगेडियर चौहान ने। आप ही की बदौलत " जवान " और " शहीद " होने का व्यापक अर्थ आज मैं समझ पायी हूँ। हमें मालूम था कि अब हम वहाँ उन जगहों और जवानों से मिल पाएगें जहाँ एक सिविलियन पहुँच ही नहीं सकता है, इसलिए हमने सोचा - जवानों के लिए कुछ तोहफा लेकर चलें पर यह मुमकिन नहीं था इसलिए मैंने उनके प्रति सम्मान और अपने जज़बातों को शब्दों में पिरोया और उसे लेकर हम पहुँचे द्रास में स्थित आर्मी हेडक्वार्टर, जहाँ हम मिले ब्रिगेड कमाण्डर से ( नाम एवं फोटो ज़ाहिर नहीं कर सकते ) । बड़ी मुश्किल से उन्होंने हमें 10 मिनट का व़क्त दिया था उसे हम खोना नहीं चाहते थे। शहीदों की इस ज़मीं पर पहुँचकर जैसे हम अपने आपको भुला बैठे। गर्वित थे कि हम हिन्दुस्तानी हैं। हमने अपने साथ लाई उस कविता ( सरहद के जवानों के लिए ) को ब्रिगेड कमाण्डर को सौंपा। उन्होंने उसे पढ़ा और हमसे ये सवाल किया- क्या चाहती हैं आप ? मैनें कहा सरहद पर शहीद हुए हर उस जवान के प्रति हमारी श्रद्धान्जलि है ये कविेता। बस मैं इतना चाहती हूँ कि मेरी यह श्रद्धान्जलि हर छोटी बड़ी पोस्ट पर भेजी जाए। ये हर उस जवान के लिए है जो सरहद पर लड़ाई करता है। वो धीरे से मुस्कुराए, बोले - क्या आपको मालूम है कि सरहद पर एक जवान अकेला कुछ नहीं कर सकता , वो लड़ सके इसके लिए उसकी ज़रूरत का हर सामान खाना , पानी, गोला , बारूद अनेकों जवान उसे मुहैया कराते हैं साथ ही फौजों का सम्पर्क चौकियों से बना रहे उसके लिए हमारे इन्जीनियर , दुश्मन की स्थिती जानने के लिए सबसे आगे wireless वाले और न जाने ऐसी कितनी ही चीजें हैं जिन्हें बाकी जवान पूरा कर रहें होते हैं । वो बोले - मैडम! जल थल या वायु सेना का अकेला जवान लड़ाई नहीं लड़ सकता। देश और देशवासियों की रक्षा के लिए लड़ते लड़ते जो भी जवान मरेगा वही " शहीद " कहलाएगा , फिर उसने सीने पर गोली खाई हो या सामान पहुँचाते व़क्त जान गवाई हो।
उस दिन उनकी बातों से एक भ्रम तो दूर हो गया कि मात्र हमारी तीनों फौजों के जवान ही नहीं बल्कि हमारे देश की - BSF , CRPF , SSB , ITBP , CISF , NSG , RASHTRIYA RIFLES , ASSAM RIFLES आदि अर्धसैनिक बल या इस तरह की कोई भी संस्था जो देश एवं देशवासियों की रक्षा में तत्पर है एवं अपनी ड्यूटी करते समय उसका जो भी जवान वीरगती को प्राप्त होता है , उसे शहीद का दर्जा मिलना ही चाहिए । मैं समझती हूँ ये उनका अधिकार है । जय जवान !
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