Sunday, 2 December 2018

Airbnb - success story- Entrepreneur Brian Chesky

       एक इंसान के लिए पैसा लग्जरी से ज्यादा अपनी जिंदगी की जद्दोज़हद से जूझने के लिए अति आवश्यक है। अक्सर देखने में आता है कि पैसे की तंगी इंसान को कुछ गलत कदम उठाने के लिए मजबूर कर देती है, मगर आज जिस शख्सियत से आपका परिचय कराने जा रही हूँ, पैसे के अभाव ने उसे अंधेरे के गर्त में नहीं झोंका बल्कि इस शख्स के मुश्किल हालातों ( आर्थिक रुप) ने एक नई सृजनात्मक सोच को जन्म दिया और इसी सोच के परिणाम स्वरुप San Francisco, California, United States America में सन् 2007 में एक छोटी सी कंपनी ने जन्म लिया " AirBed and Breakfast " आइए बात करते हैं " AirBed and Breakfast " को विश्व स्तर पर प्रसिद्धि पाने वाली " Airbnb.com " website में तब्दील करने वाले इस कम्पनी के संस्थापक entrepreneur Brian Chesky एवं अन्य दो और संस्थापकों के प्रेरणादायक, रोमांचकारी सफर की। परिचय -
       सन् 2007 में San Francisco California के एक किराए के घर में 27 वर्ष के दो दोस्त Brian Chesky और Joe Gebbia रहा करते थे। अचानक एक दिन मकान मालिक ने उस घर का किराया कई गुना बढ़ा दिया जिसे चुका पाना उनके लिए नामुमकिन था। वह मुश्किल घड़ी उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन कर सामने आई थी। अभी ये लोग उसका समाधान ढूंढ ही रहे थे कि उसी दौरान एक सुनहरे अवसर में उन का दरवाजा खटखटाया। फरवरी सन् 2008 में Industrial Designer Society of America ने Industrial Design conference आयोजित की। इस में भाग लेने के लिए पूरे विश्व से delegates आने वाले थे। अब होटलों में कमरों की कमी के कारण सरकार के सामने यह बहुत बड़ा प्रश्न था कि इन सैकड़ों लोगों के रहने की व्यवस्था कैसे की जाए ? इसी दौरान एक दिन Chesky और Gebbia की नजर अपने ही घर में बनी दुछत्ती अर्थात loft पर पड़ी। अचानक Chesky को उसे देखते हुए ख्याल आया कि अगर इसे हम किराए पर दे दें तो पैसा कमाया जा सकता है, पर कैसे ? यह एक अहम सवाल था। बस इन्हीं पलों में एक पल वह आया जब एक रचनात्मक सोच ने जन्म लिया। अमेरिका में किराए के मकान हेतु एक ऑनलाइन साइट है Craigslist मगर उसके द्वारा किराएदार मिलना मुश्किल था। उससे भी बड़ी बात कि दोनों कुछ नया करना चाहते थे इसलिए उन्होंने फरवरी 2008 में अपनी एक छोटी सी वेबसाइट बनाई। नाम था " AirBed and Breakfast " जिसमें उन्होंने 3 air mattresses लगाए और किरायेदारों के आकर्षण और सुविधा हेतु सुबह का नाश्ता उसके साथ जोड़ा। अर्थात एक छोटा सा मॉडल तैयार किया जिसमें उनके घर की लोकेशन के साथ air mattresses लगे हुए उस कमरे की फोटो और साथ में नाश्ते को जोड़ते हुए अपने इस मॉडल को इस साइट पर upload कर दिया। थोड़े ही समय पश्चात उनकी इस साइट द्वारा इन्हें अपने पहले तीन किराएदार मिले। कॉन्फ्रेंस में आने वाले इन तीन व्यक्तियों को यह कमरा किराए पर दिया गया। इन किरायेदारों से प्रति दिन, प्रति व्यक्ति $80 किराया मिला। हफ्ते भर के अंदर ही लोगों की query आना शुरू हो गई। आश्चर्यजनक बात यह हुई कि लोग अपनी पसंदीदा जगह के लिए पूछताछ कर रहे थे। कम पैसे में ठहरने की जगह के साथ-साथ सुबह के नाश्ते की सुविधा उनके लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र था। अब बारी थी अपनी सोच को और सुंदर, वृहद तरीके से सुचारु रुप से बढ़ाने की। चूँकि Brain Chesky कभी भी entrepreneur नहीं बनना चाहते थे इसलिए वह कभी भी बिजनेस स्कूल नहीं गए थे.। इस कम्पनी के बनने से पहले तक टेक्नोलॉजी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते थे। वास्तव में वह एक industrial designer थे और इनका दोस्त Joe Gebbia वह भी मात्र एक industrial designer ही था। इन्हें अपनी कम्पनी को high quality बनाने के लिए एक ऐसे व्यक्ति को खोजना था जो इस कम्पनी को technically upgrade कर सके, इसीलिए फरवरी 2008 में Chesky और Gebbia ने अपने तीसरे दोस्त Nathan Blecharzyk को जो कि उस वक्त एक बहुत बड़ी कंपनी में technical Architect थे, उन्हें अपने साथ जोड़ा। अब कंपनी के मुख्य संस्थापक Brian Chesky और Joe Gebbia के साथ सह- संस्थापक के रूप में Nathan ने कार्य शुरू किया।
सन् 2008 में अब इस छोटी सी वेबसाइट को अपग्रेड करने के लिए पैसों की आवश्यकता थी। Brian और Gebbia  अपनी नौकरी छोड़ चुके थे, इसलिए उन्होंने कुन्तलों की मात्रा में बाजार से दो अलग तरह का सीरियल खरीदा और उस वक्त होने वाले चुनावों के लिए special addition theme boxes तैयार किए। एक बॉक्स की theme थी  Obama o's  एस और दूसरे बॉक्स की theme थी cap'n McCain's.  इन लोगों ने दोनों तरह के cereal boxes  के 500 - 500 boxes बनाए और $40 प्रति box के हिसाब से उन दिनों चल रहीं convention parties में बेचा। इनकी मेहनत रंग लायी। अब इस कंपनी के लिए $30 करोड़ इकट्ठा हो चुके थे। इस आर्थिक मदद से अब इस वेबसाइट को high quality site में परिवर्तित किया जाने लगा। Nathan ने high quality model तैयार किया। लोगों की उनकी  पसंदीदा जगह की demand को पूरा करने के लिए Brian एवं  Gebbia अलग अलग amazing जगहों पर स्वयं गए और वहां रहने वाले लोगों से अपने घरों को इस साइट से जुड़ने के लिए प्रेरित किया, उन्हें समझाया। जो लोग इस कंपनी से जुड़ने को तैयार हुए उनके यहाँ air mattresses  और नाश्ते का सामान उपलब्ध कराते हुए साथ के साथ उन्हें इस कम्पनी से जोड़ते चले गए। इस तरह अगस्त 2008 में सरकारी मानकों के तहत एक official website  www.AirBed and Breakfast" launch हुई। इस कंपनी की लोकप्रियता इतनी बड़ी कि 2007 से लेकर अगस्त 2008 तक इस वेबसाइट द्वारा एक मिलियन बुकिंग हो चुकी थी, जबकि उस समय destination के लिए बड़ी-बड़ी site उपलब्ध थी। जैसे Buenos Aires, London and Japan. इस site की पारदर्शिता, गुणवत्ता और कम पैसे में अपनी पसंदीदा जगह में रहना एवं घूमना ही इसके बड़े होने की वजह बना। फरवरी 2009 में लंबे नाम की वजह से लोगों की दिक्कतों को महसूस करते हुए कंपनी ने इस के नाम को आसान, सरल और छोटा बनाते हुए इस साइड को नया नाम दिया Airbnb.com.
     वैसे तो Airbnb के तीन Founder हैं --
Brian Chesky- Founder n CEO
Joe Gebbia  - Founder
Nathan Blecharzyk - Co Founder
 लेकिन हम बात करेंगे इस Idea के सृजनकर्ता Brian  Chesky के बारे में। उनके पूरे परिचय के बिना यह लेख अधूरा रहेगा। Brian Chesky  का पूरा नाम Brian Josef  Chesky है। इनका जन्म 29 अगस्त 1981 में अमेरिका में हुआ था। इनके पिता का नाम Robert H Chesky था और माता का नाम Debora. इनकी साथी का नाम Alisha Patel है। इन्होंने Road Iland School Of Design से अपनी BFA की डिग्री ली। यह शुरुआत से ही entrepreneur नहीं बनना चाहते थे और अपने स्कूल में Hokey player थे , साथ ही Bodybuilding किया करते थे। सन् 2007 में यह कुल 27 साल के थे जब इस website  का आईडिया इन्हें आया। इन्हें कई award भी दिए गए। 
1 - Time of 2015 के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में इनको नामित किया गया।
2 -  मई 2015 में राष्ट्रपति ओबामा ने Chesky को वैश्विक उद्यमिता के राजदूत के रूप में नामित किया।
3 - सन्  2016 में Youngest Forbes 400 की सूची में भी नामित किया गया।
 प्रारूप -
       
       शुरुआती दौर में पैसे की तंगी से उबरने के लिए इस site को बनाया गया। उसके बाद इसका प्रारूप बदला अर्थात अपने देश या विदेशी लोगों के लिए जिन्हें कम समय के लिए रहने और नाश्ते के लिए जगह चाहिए होती थी और जिन लोगों को अपने घर के एक कमरे को किराए पर उठाना होता था, यह website उनके लिए काम करने लगी। बाद में लंबे समय तक रहने वालों के लिए भी प्रावधान किया जाने लगा। सार रूप में हम कह सकते हैं कि वास्तव में Airbnb एक Broker या Travel company है, जो सारी सुविधाओं के साथ सुरक्षा प्रदान करते हुए कम पैसे में सैलानियों के लिए amazing trips का प्रबंध करती है और host के लिए किरायेदारों का। बाद में  संपत्तियों की खरीद-फरोख्त का कार्य भी प्रारंभ कर दिया।
कार्यप्रणाली -
        इस website पर रजिस्टर करने के लिए आपको अपना पूरा नाम, जन्मतिथी, फोटो, फोन नम्बर, ईमेल एड्रेस और पेमेंट करने संबंधित जानकारी उपलब्ध करानी पड़ती है। साथ ही सरकार द्वारा प्रमाणित ID की फोटो कॉपी भी उपलब्ध करानी होती है। इसके बाद guest और host दोनों की सुरक्षा जांच स्वयं Airbnb करता है। अगर आपके द्वारा दी गई समस्त जानकारी सही है तो फिर आप स्वयं अपनी पसंद के host को चुन सकते हैं। पैसे का लेनदेन पूर्णतया    यही लोग करते हैं। Refund policy का भी प्रावधान है। Host एवं Guest दोनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी उन्हीं की होती है। 24/7 customer saport की सुविधा है। इतनी सारी सुविधाओं के लिए Airbnb मात्र 6%  से 12% ही fees charge करता है।
सफलता के कुछ आंकड़े -
1. 2007 से अगस्त 2008 तक 100,000 billion registered host थे।  1 million booking हो चुकी थी।
2. जून 2012 में 10 million booking हुई।
3. 2014 - 10 million guest ,
             5,50,000 जायदाद दर्ज हुयी विश्व स्तर पर।
             10 billion dollar की growth दर्ज हुई।
4. 2016 end - 3.5 million host
     2017 end - 4.2 million host
    2018 end तक 5.3 million guest का अन्दाज़ लगाया गया है।
5. नवम्बर 2017 में कम्पनी की कीमत 3.8 billion dollar  आँकी गई।
2017 के आँकड़ों के हिसाब से उस समय Airbnb में 3100 कार्यकर्ता काम कर रहे थे।
          
कंपनी की सफलता -
1. लोग अपनी पसंदीदा जगह पर कम खर्च में लोकल की तरह अपनी पूरी trip को enjoy करते थे।
2. Traveller n Local या Guest n Host दोनों एक ही platform पर आ गए थे।
3. इस कंपनी की सबसे बड़ी सफलता थी, समाज में सामुदायिक भावना को जन्म देना। लोग एक दूसरे को जानने लगे थे। उनके अन्य का डर खत्म होने लगा। Review n Rating द्वारा लोग तय करने लगे कि उन्हें कहाँ और किसके साथ रहना है। उसी तरह host भी किसके साथ रहना है, चुनने लगा।
4. कंपनी की पारदर्शिता, सुरक्षा और विश्वास ये वो स्तम्भ हैं जिन के बल पर यह website आज ऊंचाइयों के शिखर को छू रही है।
सफलता हेतु Brian Chesky द्वारा दिए गए 7 tips -
1. अपने Idea को कभी छोटा न समझे -
 अपने idea को लेकर अगर आप आत्मविश्वास से भरे हुए हैं, ईमानदार हैं और जागृत हैं तो उसे वास्तविकता के धरातल पर उतारना शुरू कर दें। Idea आसान या मुश्किल दोनों हो सकता है पर उससे आपके काम पर फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
2.  समस्याओं का समाधान -
आज के परिप्रेक्ष्य में वही idea survive  कर पाएगा जो दुनिया की परेशानियों का समाधान निकालें।
3. कानून की जानकारी -
अपने idea को लेकर जो काम आप करने जा रहे हैं उस industry  से संबंधित कानून की छोटी बड़ी पूरी जानकारी आपको होनी चाहिए।
4. Company culture -
 किसी भी क्षेत्र में कंपनी कल्चर बहुत जरूरी होता है क्योंकि आप अपनी कंपनी को जहाँ देखना चाहते हैं उसके लिए शुरूआत से ही आपको वैसा माहौल, नियम और कार्यप्रणाली अपनानी पड़ेगी जिससे शिखर पर पहुंचने तक कंपनी और कंपनी के कार्यकर्ता दोनों ही उस प्रणाली में ढल चुके हों और एक अनुशासन बना रहे।
5. Role Model  का महत्व -
 बकौल Chesky उनके 20 से 30 role models हैं जिन्हें वह follow  करते हैं। उनका मानना है कि आप अपने role model को कभी भी, किसी भी उम्र में follow कर सकते हैं, जरूरी नहीं कि उन्हें आपने कभी देखा भी हो या वह उस समय आपके सामने हों।
6. It all starts with small consistent steps  - बकौल Chesky  हमें छोटे-छोटे कदमों को बार-बार लेना पड़ता है तभी हम अपने गंतव्य तक पहुंच पाते हैं। जैसे - Chesky  ने घर-घर जाकर लोगों को इससे जोड़ा।
7. Test your services -
अपनी दी हुई सर्विस को ग्राहक बनकर खुद परखना करना चाहिए जिससे आपको अपनी कंपनी की खामियों के बारे में पता चलेगा क्योंकि अगर हम स्वयं संतुष्ट नहीं होंगे तो ग्राहक कैसे संतुष्ट होगा ?
       मात्र 27 वर्ष के Brian Chesky  Airbnb  के Founder और CEO  की कहानी  रोमांचक एवं  प्रेरित करने वाली है। अमेरिका में सबसे कम उम्र का दूसरे नंबर पर विराजमान यह धनाढ्य व्यक्ति जिसकी सृजनात्मक सोच ने आज billion dollar  की कंपनी खड़ी कर दी है और उनकी यह कंपनी विश्व में शिखर की ऊंचाइयों को छू रही है, जाहिर है उसके पीछे की गई मेहनत, तपस्या और लगन ने उन्हें यहाँ तक पहुँचाया है। यहाँ यह बताना मैं आपको जरूरी समझती हूँ  कि मैं Brian Chesky  से किस तरह प्रेरित हुई हूँ। अपने घर की कुछ उलझनों के चलते मैं यह लेख पहले नहीं लिख पाई थी जबकि 2 हफ्ते पहले ही मैंने यह निश्चित कर लिया था कि मुझे किस entrepreneur की success story पर लेख लिखना है। 9 तारीख की दोपहर में मैंने सबसे पहले net पर इसे दोबारा पढ़ा। वहाँ से सारी जानकारी एकत्रित की। उसके बाद उसे एक क्रम में बांधते हुए लेख लिखा। थोड़ी मुश्किल हुई क्योंकि जितना net में search करते जा रहे थे उतना ही तारीख और आंकड़ों में विरोधाभास मिलता चला गया। जिन आंकड़ों में 80% समानता पाई, उन आंकड़ों को मैंने अपने लेख में शामिल किया है। उसके बाद इस पूरे लेख को मोबाइल पर स्वयं ही type  किया और तब उसे post किया। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। मुझे लगता है मातृभारती के इस platform  पर बहुत से ऐसे लेखक होंगे जो कि स्वयं ही type  करते होंगे। जो मेरे लिए बड़ी बात बनी वह थी 9 तारीख की रात में  2:00 बजे मैं अपने आप में हारने लगी क्योंकि तब तक लेख पूरी तरह से लिखा ही नहीं गया था। Typing की तो दूर-दूर तक कोई बात ही नहीं थी। रात के अंधेरे में घबराहट और बढ़ गई और मैंने निर्णय लिया कि अब की बार इस प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लूंगी। वैसे भी मेरा मानना है कि जो करो वह अपना 100% देकर करो, वरना मत करो। इस निर्णय के बाद मैं आराम से सो पाई, लेकिन कहीं ना कहीं इस बात के लिए मेरे अंदर बेचैनी शायद बरकरार थी। 10 तारीख को सुबह के काम करते-करते मुझे एक बार Chesky की कहानी फिर दिमाग में घूम गई।  बस वही एक पल था जब मुझे उससे प्रेरणा मिली। मुझे लगा समय कम है इसलिए मैं हार तो नहीं मान सकती और मैंने ठान लिया कि जैसे भी हो मुझे अपना यह लेख आज भेजना ही है। धंयवाद करती हूँ Brian Chesky का जिनकी वजह से मेरा यह सपना पूरा हुआ। दोस्तों !  यकीन के साथ कह सकती हूँ कि जैसे मुझे प्रेरणा मिली है कभी ना कभी आपके लिए भी Chesky की कहानी प्रेरणा की वजह बन सकती है। धन्यवाद

Saturday, 24 November 2018

वाराणसी में " देव दीपावली "

शुभ संध्या दोस्तों! 
     उत्तर प्रदेश में स्थित वाराणसी शहर श्रद्धा एवं भक्ति की अद्भुत संगमस्थली है । इस दिन " देव दीपावली " का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। पूरी वाराणसी दियों के प्रकाश से नहा उठती है। वास्तव में बनारस के लिए दीपावली का त्यौहार " देव दीपावली " के दिन ही होता है। आसमाँ के सितारों भरे आँचल की तरह बनारस शहर के साथ-साथ  माँ गंगा भी दियों के प्रकाश से आलोकित हो उठती हैं।  माँ गंगे की आरती का हर देशी- विदेशी लोगों को बेसबरी से इन्तज़ार रहता है। 
   कार्तिक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। कार्तिक के महीने का अंतिम दिन " कार्तिक पूर्णिमा " के नाम से जाना जाता है और इस दिन देवता गण दीपदान करते हैं। उत्तर प्रदेश का वाराणसी शहर जिसे काशी नगरी भी कहा जाता है, यहाँ देव दिवाली का आयोजन बड़े ही धूमधाम से किया जाता है। पूरी काशी नगरी दुल्हन की तरह सजाई जाती है। दिन भर गंगा-पूजन, हवन, मंत्रोच्चारण, दीपदान जैसे आयोजनों से पूरी नगरी गूँजती रहती है साथ ही पटाखे, झाँकियाँ और साँस्कृतिक कार्यक्रम देखने वाले होते हैं। पूरे भारत में दीपावली कार्तिक पूर्णिमा से पहले मनाई जाती है परन्तुु  काशी में दीपावली कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही मनाई जाती है। यह " देव दीपावली " के नाम से प्रख्यात है।
     एक पौराणिक कथा के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु चतुर्मास की निद्रा से जागते हैं और चतुर्दशी को ही भगवान शिव भी। इसी खुशी में देवता गण उस दिन पृथ्वी पर उतरकर शिव नगरी में दीप प्रज्वलित करते हैं। लेकिन दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार राक्षस तारकासुर ने स्वर्ग से देवताओं को निकाल कर स्वर्ग पर अपना आधिपत्य जमा रखा था। उस वक्त शिव पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध करके देवताओं को उनका स्वर्ग वापस दिला दिया था। पिता तारकासुर की मृत्यु उपरान्त उसके तीनों पुत्रों ने प्रण किया और ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या करके उनसे एक वरदान प्राप्त कर लिया, जिससे वह स्वयं को अमर समझने लगे। तारकासुर के तीनों पुत्र त्रिपुरासुर के नाम से जाने जाते हैं। अपने आप को अमर समझने वाले इस त्रिपुरासुर ने देवताओं को पुनः स्वर्ग से निकाल दिया। तब देवता गण शिव की शरण में पहुँचे। उनकी व्यथा सुनकर स्वयं शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया और देवताओं को स्वर्ग में प्रतिस्थापित किया। इसी खुशी में सभी देवता गण धन्यवाद देने काशी पहुँचे और पूरी नगरी में दीप प्रज्वलित करके गंगा की आरती की। यह दिन कार्तिक माह का आखरी दिन था। कहा जाता है कि तभी से काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन " देव दीपावली" का महा आयोजन किया जाने लगा।
    पिछले वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर मैं वाराणसी गयी थी। वहाँ स्वयं मैंने गंगा आरती का वीडियो बनाया था। आप सभी के लिए प्रसाद स्वरूप माँ गंगे की आरती का वही वीडियो upload कर रही हूँ। प्रसाद अवश्य ग्रहण कीजिएगा।   जय गंगे माँ .. जय बम बम भोले...
                                                        नीलिमा कुमार 

Wednesday, 3 October 2018

" नन्हे प्रधानमंत्री " एक अनमोल रत्न

     आज मैं आपका परिचय " नन्हे " नाम के एक ऐसे रत्न से करवाने जा रही हूँ जिसकी सादगी, देशभक्ति, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा के लिए मरणोपरांत उन्हें  " भारत रत्न " सम्मान से सम्मानित किया गया। यह कोई और नहीं हमारे देश के दूसरे प्रधानमंत्री माननीय लाल बहादुर शास्त्री थे। मरणोपरांत इस सम्मान को प्राप्त करने वाले वह प्रथम व्यक्ति थे।

जीवन परिचय --

      शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता का नाम " मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव " एवं माता का नाम " रामदुलारी " था। आप एक बहुत ही साधारण परिवार से थे। पूरे परिवार में सबसे छोटे और कद में भी बहुत छोटे होने के कारण इन्हें सब लोग प्यार से " नन्हे " के नाम से पुकारते थे। मात्र 18 महीने के थे जब इनके पिता का निधन हो गया अतः आपकी माताजी सबको लेकर अपने मायके मिर्जापुर चली गई और वहीं रह कर अपने परिवार को पाला-पोसा। आपने मिर्जापुर से ही प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। हरिश्चंद्र हाईस्कूल विद्यालय से दसवीं की शिक्षा प्राप्त करने के बाद, स्नातक की शिक्षा के लिए आपने " काशी विद्यापीठ " बनारस में प्रवेश लिया। इसी बीच सन्  1920 में " असहयोग आंदोलन " के लिए इन्होंने शिक्षा अधूरी छोड़ दी। कहा जाता है कि आप महात्मा गांधी जी से बहुत प्रभावित थे उसी कारण शिक्षा को छोड़ " असहयोग आंदोलन " में कूद पड़े जिसमें इनकी गिरफ्तारी तो हुई पर नाबालिक होने की वजह से इन्हें छोड़ दिया गया। बाद में गांधी जी के कहने पर ही सन्  1925 में आपने संस्कृत भाषा में अपनी स्नातकोत्तर की शिक्षा पूर्ण की। यहाँ से आपको " शास्त्री " की उपाधि मिली क्योंकि आप जात-पात के सख्त खिलाफ थे इसीलिए तुरंत ही अपना सरनेम " श्रीवास्तव " हटाकर " शास्त्री " जोड़ लिया। आगे चलकर " शास्त्री " " लाल बहादुर " के नाम का पर्याय बन गया और आप " लाल बहादुर शास्त्री " के नाम से प्रसिद्ध हो गए। आपका विवाह सन् 1928 में " ललिता जी " से हुआ। कहा जाता है कि आप ताउम्र ललिता जी के बिना कहीं किसी यात्रा पर नहीं गए मात्र एक आखरी यात्रा को छोड़कर। आप दोनों की कुल 6 संतान हुईं। दो पुत्रियाँ- कुसुम एवं सुमन और चार पुत्र हरि कृष्ण, अनिल, सुनील एवं अशोक।

अभूतपूर्व व्यक्तित्व --

     बचपन से ही शास्त्री जी का जीवन संघर्षपूर्ण रहा था संभवता इसी संघर्ष भरे जीवन ने उन्हें सरल, सत्यनिष्ठ और ईमानदार बनाया। वह गांधीजी के व्यक्तित्व से पूर्णतः प्रभावित थे लेकिन उससे पहले अपनी मां के अतिरिक्त हालात और समाज ने ही उनके व्यक्तित्व को तराश दिया था। उनके स्वाभिमान और जिम्मेदारी की बात करें तो दो प्रसंगों का जिक्र करना जरूरी हो जाता है। पहला " स्वाभिमान ", जो उन्हें विरासत में मिला। एक बार की बात थी अपने दोस्तों के साथ गंगा नदी के पार मेला देखने गए। लौटते वक्त नाव के पास आकर देखा कि उनकी जेब में एक पाई भी नहीं है, तो उन्होंने दोस्तों को जाने को कहा कि वो बाद में आएँगे क्यों कि अभी उन्हें और कुछ देर  मेले में घूमना है। कारण था जिससे उन्हें किराया दोस्तों से ना लेना पड़े। जैसे ही नाव आंखों से ओझल हुई उन्होंने अपने कपड़े उतारे और सिर पर लपेट लिए और कूद पड़े गंगा में। आधे मील का चौड़ा पाट और उफान पर आया नदी का पानी, बड़े से बड़ा तैराक भी हिम्मत नहीं करता पर उनके स्वाभिमान ने उन्हें हारने नहीं दिया और कुछ देर बाद सकुशल नदी पार कर ली। दूसरा " जिम्मेदारी " जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाया एक माली ने जिस के बगीचे में अपने दोस्तों के साथ फूल तोड़ने घुसे थे। हुआ कुछ यूँ  कि इनके सभी दोस्त जल्दी जल्दी फूल तोड़कर अपनी झोली भरने लगे परंतु छोटा कद और दूसरा 6 वर्ष की आयु का होने के कारण यह एक फूल ही तोड़ पाए थे, तब तक माली आ गया। बाकी सब तो भाग गए पर यह माली के हत्थे चढ़ गए। फूलों के टूटने और चोरों के भाग जाने के कारण गुस्साए माली ने इन्हें पीट डाला। तब इन्होंने मासूमियत से कहा - " आप मुझे इसलिए पीट रहे हैं ना क्योंकि मेरे पिता नहीं हैं " यह सुनकर माली का क्रोध दूर हो गया और उसने इनसे कहा - " बेटे पिता के ना रहने पर तो तुम्हारी जिम्मेदारी और अधिक हो जाती है "। मार खाकर तो यह नहीं रोए पर माली की बात सुनकर यह बिलख कर रो पड़े और सीख को ताउम्र नहीं भुलाया। बस उसी पल उन्होंने संकल्प लिया कि वो जिंदगी में कभी कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे किसी का नुकसान हो। आगे जाकर इनके व्यक्तित्व को सोने सा खरा बनाने में महात्मा गांधी जी के विचार, सादा जीवन, जुझारूपन, सत्य, अहिंसा जैसे बेशकीमती एहसासों ने अपना सहयोग दिया।  बस ऐसे थे हमारे देश के लाल  " लाल बहादुर शास्त्री "।

राजनीतिक जीवन --

     लाल बहादुर शास्त्री जी की पढ़ाई के मध्य से शुरू हुआ राजनैतिक जीवन प्रधानमंत्री पद से होते हुए मृत्युपर्यंत अनेकों आंदोलनों और उपलब्धियों से भरा हुआ है। इसीलिए उनके राजनीतिक जीवन को तिथि और सन् को मद्देनजर रखते हुए क्रमवार बांधने की कोशिश की है।
     शास्त्री जी का राजनीतिक दल  " भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस " दल था लेकिन वह एक राजनेता के साथ-साथ स्वतंत्रता सेनानी भी थे। स्नातक जीवन के मध्य भारत सेवक संघ से जुड़े और देश सेवा का व्रत लिया, ठीक यहीं से इनके राजनीतिक जीवन की शुरूआत भी हो गई। अपने विवाह के लगभग 1 वर्ष बाद सर्वप्रथम सन् 1929 में इलाहाबाद आने पर श्री पुरुषोत्तम दास टंडन जी के साथ " भारत सेवक संघ " की इलाहाबाद इकाई के सचिव के रूप में काम शुरू किया। इनकी कर्मठता की वजह से जवाहरलाल नेहरु जी के साथ इनकी निकटता बढ़ती गई और यहीं से सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए वह नेहरू जी के मंत्रिमंडल में गृह मंत्री के पद पर पहुंचे और इसी के साथ आगे बढ़ रहे शास्त्री जी की सिलसिलेवार राजनीतिक उपलब्धियां कुछ इस तरह रहीं -
सन् 1935 से सन् 1941 तक कई पद एक साथ संभाले
सन् 1935 से सन् 1938 तक उत्तर प्रदेश के कांग्रेस महासचिव के पद पर रहे।
सन् 1947 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव रहे।
सन् 1935 से सन् 1941 तक उत्तर प्रदेश कमेटी के महामंत्री रहे।
सन् 1946 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पंडित गोविंद बल्लभ पंत के सभा सचिव रहे। 
सन् 1947 में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।
सन् 1951 में कर्तव्यनिष्ठा व योग्यता के आधार पर कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव बने। 
सन् 1952 में रेल मंत्री बने किंतु सन् 1956 में एक बड़ी रेल दुर्घटना घटी जिसकी जिम्मेदारी स्वयं लेते हुए मंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया।
सन् 1957 में परिवहन एवं संचार मंत्री रहे। 
सन् 1958 में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री रहे। 
4 अप्रैल 1961 से 29 अगस्त 1963 तक पंत जी की मृत्यु उपरांत गृहमंत्री रहे।
      देश के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरु के निधन के पश्चात शास्त्री जी की काबिलियत और साफ-सुथरी छवि की वजह से सर्वसम्मति से उन्हें भारत का अगला प्रधानमंत्री बनाया गया। लाल बहादुर शास्त्री जी ने 9 जून 1964 को प्रधानमंत्री पद ग्रहण किया। यह देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। पद ग्रहण करते ही उनका पहला कदम था खाने के सामान के बढ़ते मूल्यों को जल्द से जल्द रोकना। उस वक्त देश में खाने की चीजों का सारा सामान नार्थ अमेरिका से आयात होता था। अनाज के लिए PL 480  स्कीम के तहत देश नॉर्थ अमेरिका पर पूर्णतया निर्भर था। सन् 1965 में देश में भयंकर सूखा पड़ा।  उस वक्त देश के हालात को देखते हुए शास्त्री जी ने देशवासियों से मात्र 1 दिन का उपवास रखने की अपील की। उस वक्त हालात से लड़ने, खाद्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए और जवानों व किसानों को अपने कर्म एवं निष्ठा के प्रति सुदृढ़ बने रहने के लिए उन्होंने देश को  " जय जवान जय किसान " का नारा दिया। तभी सन् 1965 में भारत-पाक युद्ध भी छिड़ गया, उस समय इस नारे से उत्साहित होकर जवानों ने प्राण हथेली पर रखकर देश की रक्षा की, तो वहीं किसानों ने दोगुने परिश्रम से अन्य उपजाने का संकल्प लिया। अप्रत्याशित रूप से शास्त्री जी के कुशल नेतृत्व ने  न सिर्फ युद्ध में अभूतपूर्व विजय दिलाई बल्कि देश के अन्न भंडार भी पूरी तरह भर गए। उनके कदम सैद्धांतिक ना होकर व्यवहारिक और जनता की आवश्यकता के अनुरूप थे।

स्वतंत्रता सेनानी के रूप में --

    शास्त्री जी ने बतौर स्वतंत्रता सेनानी स्वाधीनता संग्राम के सभी कार्यक्रमों एवं आंदोलनों में सक्रिय रुप एवं महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी सिलसिलेवार उनकी भागीदारी वाले मुख्य आंदोलन रहे -
सन् 1921 असहयोग आंदोलन
सन् 1930 नमक सत्याग्रह/ दांडी मार्च
सन् 1942 भारत छोड़ो आंदोलन 
यह कम ही लोग जानते होंगे कि अपने पूरे जीवनकाल में देश के लिए स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हुए लगभग 9 वर्ष उन्होंने जेल में ही बताए थे। उन्होंने देश की आजादी के लिए देश को एक क्रांतिकारी नारा और दिया था। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान नेताजी के " दिल्ली चलो " नारे और गांधी जी के " भारत छोड़ो " नारे के साथ ही गांधीजी के " करो या मरो " आदेश को चतुराई पूर्वक उन्होंने मिला दिया।  9 अगस्त 1942 को इलाहाबाद में उन्होंने एक नए नारे को जन्म दिया " मरो नहीं, मारो ! " उनके इस नारे ने अप्रत्याशित रूप से इस क्रांति को प्रचंड रूप में परिवर्तित कर दिया। 11 दिन तक भूमिगत रहकर आंदोलन चलाने के बाद 19 अगस्त 1942 में शास्त्री जी गिरफ्तार हो गए।

रहस्यमयी मौत ---

    दोस्तों ! कभी-कभी ज्यादा अच्छा एवं लोकप्रिय व्यक्तित्व कुछ लोगों की नजरों में खटकने लगता है, कुछ ऐसा ही उनके साथ भी हुआ। सन् 1965 के युद्ध समाप्ति के बाद जनवरी 1966 में सन्धि प्रयत्न के सिलसिले में दोनों देशों के प्रतिनिधियों की बैठक ताशकंद सोवियत संघ में बुलाई गई।  हर जगह साथ रहने वाली उनकी पत्नी ललिता जी को इस बार प्रयत्न करके रोका गया और शास्त्री जी को अकेला ही ताशकंद भेज दिया गया। 10 जनवरी 1966 को प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी एवं पाकिस्तानी राष्ट्रपति अय्यूब खान ने संधि पत्र पर हस्ताक्षर किए और उसी दिन मध्यरात्रि ताशकंद के उस अतिथि गृह में हृदय गति रुकने से उनकी मृत्यु हो गई। रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई मृत्यु के दस्तावेज अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। लाल बहादुर शास्त्री जी की मृत्यु देश हित में एक अपूर्णीय क्षति थी। उनकी याद में दिल्ली में " विजय घाट " का निर्माण हुआ, जहाँ हर वर्ष उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।

क्या आप जानते हैं  ?

 1- अपने प्रधानमंत्री पद के कार्यकाल में उन्होंने एक बार फिएट कार ली, जिसके लिए उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से ₹5000 का लोन लिया पर उसे सरकारी खजाने से न चुकाकर स्वयं अपने पैसे से चुकाया। 
2 - जेल प्रवास के दौरान एक बार उनकी पत्नी दो आम छुपा कर ले आईं, तो शास्त्री जी ने उन्हीं के खिलाफ धरना दे दिया। उनका कथन था कैदियों को बाहर की कोई भी चीज खाना कानूनन जुर्म है।
3 - स्वयं की शादी में उन्होंने दहेज नहीं लिया, जिस पर उनके ससुर दहेज लेने की जिद करने लगे इसलिए उन्होंने दहेज के नाम पर कुछ मीटर खादी ली।
4 - परिवहन मंत्री के पद पर रहते हुए सर्वप्रथम महिलाओं को बतौर कंडक्टर उन्होंने ही नियुक्त करवाया, जो आज तक चल रहा है।
5 - किसी भी आंदोलन में प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज की बजाय पानी की बौछार की जाए ऐसा नियम शास्त्री जी ने ही बनाया।
       दिखने में साधारण पर चट्टान जैसी दृढ़ता और शेर जैसा निर्भीक व्यक्तित्व था शास्त्री जी का। शास्त्री जी पूर्णतया गांधीवादी थे इसीलिए उन्होंने गरीबों की सेवा करते हुए सादगी से अपना जीवन जिया। आज उनके आदर्शों को अपनाने की बहुत ज़रूरत है क्योंकि आज के परिप्रेक्ष में बिना किसी दिखावे के सही दिशा में काम करने वाले बहुत कम लोग हैं। अगर हम उनके दिखाए मार्ग पर चल पाएँ तो यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।                         
                                           नीलिमा कुमार

Tuesday, 2 October 2018

श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर शत् शत् नमन

आज श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्मदिन है। काश अगर वो अपने दुश्मन के चक्रव्यूह से निकल पाते तो नि:सन्देह हमारे स्वतंत्र भारत की तस्वीर कुछ और ही होती। आईए ! आज मीठे भावों के साथ उन्हें याद करें और ज्यादा नहीं तो थोड़ा सा उनके कदमों पर चलने का प्रयास करें। -- Neelima Kumar Shared via Matrubharti.. https://www.matrubharti.com/bites/111035723

Monday, 1 October 2018

" नन्हे प्राईम मिनिस्टर " एक अनमोल रत्न

    हमारे भारतवर्ष का एक ऐसा अनमोल रत्न जिसकी सादगी, देशभक्ति, ईमानदारी और सत्यनिष्ठा ने, ना ही उसे आजाद हिंदुस्तान का दूसरा प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त कराया बल्कि इन्हीं खूबियों की वजह से मरणोपरांत उसे भारत रत्न की उपाधि भी दिलवाई। आज मैं आपका परिचय कोहिनूर से भी कीमती " नन्हे प्राइम मिनिस्टर " अर्थात भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री जी से करवाने जा रही हूँ।
     दोस्तों! MatruBharti app पर मेरा ये लेख ebook के रूप में प्रकाशित हुआ है। कृपया नीचे दिए हुए लिंक को खोलें और स्वर्गीय शास्त्री जी के वारे में पढ़ें। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आपको बहुत कुछ जानने को मिलेगा। अगर आपको मेरा ये लेख पसन्द आए तो उसी लिंक पर अपना review and rating अवश्य दीजिएगा। pls read my book "" नन्हे प्राईम मिनिस्टर " एक अनमोल रत्न" on MatruBharti App. http://matrubharti.com/book/19860052             
                                            धन्यवाद
                                        नीलिमा कुमार

Tuesday, 29 May 2018

निपाह वायरस ( NiV virus ): लक्षण/उपाय ■ सावधान रहिए भय मुक्त रहिए

                                                                                       29 May 2018 20:04



नमस्कार दोस्तों !      

अपने पिछले लेख " ड़ेंगू या वायरल " की तरह इस बार भी Net और डॉक्टर की मदद से आप सब के लिए साधारण और सरल भाषा में इस लेख को लिखने का प्रयास किया है। उम्मीद करती हूँ कि इस लेख के द्वारा अनजाने निपाह वायरस से डरे हुए लोगों को कुछ दिशा दिख सकती है। केरल के कोझिकोड जिले के पेरामबरा गांव में निपाह वायरस ( NiV ) से जुड़ी हुई कई मौतें हुई हैं।  यह वायरस कहां से आया, कैसे फैलता है और क्या है इसको रोकने का उपाय वगैरा-वगैरा, आइए जानते हैं कुछ सरल एवं भयमुक्त शब्दों में। इस वायरस को समझने के लिए हमें पहले एक दूसरे वायरस को समझना पड़ेगा जो कि निपाह से भी ज्यादा खतरनाक है और वह वायरस है हमारे अँदर बैठा हुआ डर।  जी हाँ .... अगर हम अपने दिमाग और व्यवहार को शाँत रख पाएँ तो हम स्वयं देखेंगे कि इतना भी मुश्किल नहीं होता है किसी भी आपदा से लड़कर उस पर विजय पाना। बस जरूरत होती है तो थोड़े से धैर्य सावधानी और सूझबूझ की। किसी भी खबर को हमारे पास तक कैसे और किन शब्दों का प्रयोग करके पहुँचाया जा रहा है, हमारा डर बस इसी पर निर्भर करता है। आप सभी से अनुरोध हैं शाँत रहकर इस लेख  को अंत तक पढ़ें और भयमुक्त होकर इस वायरस से मात्र सावधान रहें, सब कुछ अपने आप ही सरल लगने लगेगा।

निपाह वायरस है क्या ? --
    
सर्वप्रथम सन् 1998- 99 में सिंगापुर - मलेशिया के एक गाँव कम्पंग सुंगाई निपाह में एक बीमारी फैली। इसकी चपेट में एक व्यक्ति आया और लगभग 24 घंटे बाद ही उसकी मृत्यु हो गई। विश्व स्तर पर इस वायरस की जानकारी किसी भी डॉक्टर को नहीं थी इसलिए निपाह गाँव के डॉक्टरों ने गाँव के ही नाम पर इस वायरस का नाम निपाह वायरस रखा। निपाह वायरस का अगला आक्रमण सन्  2001 में भारत के पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी क्षेत्र में हुआ जिसमें 66 लोग संक्रमण का शिकार हुए एवं उसमें से 45 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद सन् 2007 में पश्चिम बंगाल के ही नदिया इलाके में 5 मामले दर्ज हुए जिसमें उन पांचों की मौत हो गई। इसके बाद थाईलैंड, कंबोडिया और फिलीपींस में भी यह वायरस पहुँचा। इतने वर्षों बाद  सन् 2018 अप्रैल में अब फिर से एक बार मलेशिया में यह वायरस पहुँचा और उसके बाद वहाँ से भारत में  केरल राज्य के कोझिकोड जिले के पेरामबरा गाँव में पहुँचा। शुरुआत में एक ही परिवार के तीन व्यक्ति इस वायरस के शिकार हुए,और फिर धीरे धीरे गाँव के काफी लोग इसकी चपेट में आ गए।     

निपाह वायरस को medical term में NiV virus कहा जाता है। REBONUECLICK ACID ( RNA ) नामक ये  वायरस  PARAMYXOVIRIDAE family का है और हेंड्रा वायरस से मेल खाता है।

पता कैसे लगाएँ --
  
इसका पता मरीज के खून की जाँच करने पर ही पता चल सकता है। किसी भी प्रकार के वायरस की जाँच केवल वायरोलाॅजी लैब में ही की जा सकती है। वैसे तो पूरे भारत में कई लैब होंगी किन्तु बड़ी लैब दो जगह ही हैं-- 1• NATIONAL INSTITUTE OF VIROLOGY, PUNE 2• NATIONAL CENTER FOR DISEASE CONTROL, NEW DELHI पेरमबरा गाँव में मरीज के blood की जाँच पहले भोपाल स्थित वायरोलॉजी लैब में की गई थी लेकिन डॉक्टरों ने उस सैंपल को National institute of virology, PUNE  में दोबारा भेजा। यहाँ की लैब में यह वायरस ब्लड में पाया गया।

निपाह वायरस का स्रोत --
    
यह एक पशुजन्य रोग है। सभी जानते हैं कि चमगादड़ पेड़ पर रहते हैं। चमगादड़ों में एक प्रजाति पाई जाती है जो फल और फलों के रस को पीती है, साथ ही पाम के पेड़ों पर खुले बर्तनों में जो ताड़ी अर्थात कच्ची शराब बनाई जाती है उसे भी पीती है। इस नस्ल को " फ्रूट बैट " कहा जाता है। कुदरती तौर पर निपाह वायरस चमगादड़ों की इसी फ्रूट बैट नस्ल में पाए जाते हैं। इस चमगादड़ के मल, मूत्र एवं लार से वायरस बाहर निकलते हैं। मूलतः इस चमगादड़ के द्वारा खाए गए फल या ताड़ी को जो भी इंसान खाता या पीता है, उसमें निपाह वायरस प्रवेश कर जाते हैं। जमीन में झूठे पड़े फल एवम मल को सूअर खाता है और पेड़ पर टंगे उस झूठे फल को पक्षी खा लेता है इसलिए यह वायरस उन स्वस्थ पक्षियों एवं पशुओं के अंदर चले जाते हैं। पक्षियों के खाए हुए फल जब बाजार में आते हैं तो कोई नहीं जानता कि यह फल वायरस युक्त हैं। उसी तरह सुअर संक्रमित है या नहीं ये जान पाना भी मुश्किल है। इन संक्रमित पशु अथवा पक्षियों के संपर्क में आया व्यक्ति भी इस वायरस का शिकार हो जाता है जैसा कि निपाह गांव में हुआ। इस गाँव में मुख्यतः सुअर पालन का कार्य होता है।

लक्षण--
    
निपाह वायरस से संक्रमित व्यक्ति के अंदर 5 से 14 दिनों के भीतर यह वायरस एक्टिवेट हो जाते हैं अर्थात शरीर पर लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसके प्रारंभिक लक्षणों में तेज सिर दर्द एवं तेज बुखार, साँस लेने में  तकलीफ, थकान, बेहोशी, सिर में जलन, मतली का महसूस होना आदि प्रकट होते हैं। इसके बाद इसकी तीव्रता बढ़ने पर मानसिक भ्रम, मस्तिष्क में सूजन, विचलन, पेट दर्द, आंखों में धुंधलापन, गले में फंदा जैसा लगना और उल्टी होना दिखाई पड़ता है और तीसरे चरण में  मरीज का कोमा में जाना होता है। एक बार अगर व्यक्ति कोमा में आ जाए तो मरीज को बचाना मुश्किल हो जाता है। विशेष ध्यान देने योग्य बात है कि प्रारंभिक लक्षण दिखने के बाद 24 से 72 घंटे के मध्य कोमा की संभावना बढ़ जाती है। एक तरह से इसे घातक इंसेफ्लाइटिस या दिमागी बुखार कहा जा सकता है।

बचाव के तरीके  --
  
1• सहायक दवाइयाँ और पेलीएटिव केयर अर्थात मरीज को पूर्णतया डॉक्टरों की निगरानी में छोड़ दें जिससे डॉक्टर अपने हिसाब से सहायक दवाइयों के साथ उचित देखभाल कर सके।
2• फल खरीदते समय कुतरा हुआ फल ना खरीदें।
3• जूस पीना खतरनाक हो सकता है क्योंकि यह पता करना जरा मुश्किल होगा कि फल कहीं चमगादड़ द्वारा कुतरा हुआ तो नहीं था।
4• उत्तर भारत में खजूर और केला मुख्यतः केरल के कालीकट और पेरामबरा गाँव से ही आते हैं क्योंकि इन्हीं जगहों पर इनकी खेती होती है। साथ ही इस वक्त आने वाला आम भी लगभग उसी क्षेत्र के पास से आता है। डरे नहीं बस जरा देख कर खरीदारी करें।
5• जब तक संक्रमण का आतंक खत्म नहीं होता फलों और सब्जियों को गर्म पानी अथवा पोटाश से धोकर खाएं। 6• पाम के पेड़ पर खुले बर्तन बाँधकर ताड़ी अर्थात कच्ची शराब बनाई जाती है, उसे भूल कर भी ना पिएं।
7•  माँसाहारी खाने वाले इस समय माँसाहारी खाना ना खाएँ। हो सकता है कि जो माँस आप खा रहें हों वह किसी निपाह वायरस संक्रमित पशु का हो।
8• संक्रमण वाला रोग होने की वजह से मरीज के संपर्क में ना आएँ।
9• मरीज की देखभाल करने वाला व्यक्ति नाक- मुँह पर मास्क पहने एवं सिर से पाँव तक अपने पूरे शरीर को ढक कर ही मरीज के पास जाएं। कुछ इस तरह से -> 


10• हर बार मरीज को छूने के उपरांत एंटीसेप्टिक साबुन से हाथ धोएँ,भले ही मरीज को गिलास उठाकर ही क्यों न दिया   हो। एक बेहतर तरीका और भी है कि हाथों में दस्ताने पहन लिए जाएं।
11• कपड़े, बिस्तर, बर्तन के अतिरिक्त बाथरूम में साबुन से लेकर बाल्टी तक हर सामान मरीज का अलग कर दिया जाए।
12• मरीज को अलग कमरे में रखा जाए।
13• दुर्भाग्यवश अगर मरीज की मौत हो जाती है तो अंतिम संस्कार से पूर्व स्नान व अन्य की जाने वाली विधियों के दौरान अपने शरीर को हाथ लगाने की भूल कभी ना करें।
14• मृतक के गले न लगे एवं पैरों को हाथ न लगाएं।
15• अंतिम यात्रा के दौरान भी मुंह पर मास्क पहने एवं पूरा शरीर ढक कर रखें।
16• अगर आपका कोई पालतू जानवर इस संक्रमण की जद में आ गया है तो उसकी भी इसी प्रकार देखभाल करें।

विशेष तथ्य --
 
ऐसी सावधानियाँ बरतने का यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि आप अपने मरीज से प्यार नहीं करते हैं। इस कुंठा को कभी मत पालें। जरा सोचिए ! आप बहुत प्यार करते हैं इसीलिए आप अब तक उनके पास हैं और उनकी सेवा कर रहे हैं।

एक सलाह मरीज के लिए--
 
अगर कोई इस वायरस का शिकार हो गया है तो अपने घर वालों के प्रति उबलते हुए प्यार में वह यह ना भूलें कि वह सब उनके अपने हैं। अतः सभी घरवालों का स्वयं उत्साहवर्धन करें कि वह सब उनसे दूर रहें और सावधानी बरतें ना कि इस बात के लिए मरीज अपने परिवारजनों से शिकायत करें।       

ये सभी सावधानियाँ चमगादड़ और सुअर बाहुल्य क्षेत्र के लिए हैं, या फिर उत्तर भारत के लिए। 

मेडिकेशन --

1• अभी तक पेरामबरा गाँव के लिए मलेशिया से RIBAVIRIN  नामक दवाई मंगाई जा रही है, जो फिलहाल काफी हद तक प्रभावित साबित हो रही है।
2• इसके साथ ही होम्योपैथ की बेलाडोना दवा सुबह- सुबह खाली पेट 4 से 5 गोली खाएँ तो इसका असर भी प्रभावी हो सकता है। ऐसा सुनने में आ रहा है।
3• मैं एक COLOUR THERAPIST हूँ इसलिए एक इलाज मैं भी बताना चाहती हूँ। नीले रंग में किसी भी तरह के जहर अथवा वायरस को खत्म करने की अद्भुत क्षमता होती है। अगर आप संक्रमित वातावरण या उसके आसपास के दायरे में आते हों तो कृपया एक छोटा सा उपाय करें। 100 watt का एक बल्ब लें, उसके ऊपर नीली पन्नी double करके बाँध दें। ( नीली पन्नी जिसे हम शादी में फलों की टोकरी पर बाँधते हैं )  अब इस बल्ब को घर के सबसे छोटे कमरे में जला लें। कमरे में अन्य किसी भी प्रकार की रोशनी नहीं होनी चाहिए। शरीर का जितना ज्यादा हिस्सा खुला रहेगा उतना ही अच्छा रहेगा अतः कपड़े उसी हिसाब से पहनें। अब घर के सभी सदस्य इस कमरे में आएँ और थोड़ी दूरी बनाते हुए नीले बल्ब के सामने 8 मिनट के लिए आँखें बंद करके खड़े हो जाएँ। विशेष ध्यान रखना है कि आपकी आँखें बन्द होनी चाहिए एवं 8 मिनट से ज्यादा किसी भी हालत में नीली रोशनी में नहीं रहना है। आप ये प्रक्रिया दिनभर में एक बार किसी भी समय कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को लगातार 3 दिनों तक करें,  उसके बाद 2 दिन के लिए बन्द कर दें। ज्यादा से ज्यादा एक महीने तक आप इस प्रक्रिया को कर सकते हैं। 8 साल से छोटे बच्चों को 3 मिनट से ज्यादा नीली रोशनी में नहीं रखना है।    

दोस्तों ! इस संक्रमण से जीतने का एक ही उपाय है लक्षणों पर ध्यान दें प्रारंभिक लक्षणों के दिखते ही 15 मिनट और देखते हैं या 15 मिनट और इन्तज़ार कर लेते हैं, ऐसा बिल्कुल न सोचें बल्कि उस 15 मिनट को हॉस्पिटल जाने के लिए इस्तेमाल करें। अगर हम समय रहते धैर्य और समझदारी के साथ डॉक्टर और अस्पताल का सहारा लें तो संभवता हमारा मरीज जिंदगी और मौत की इस लड़ाई को जीत सकता है।                     

नीलिमा कुमार