दिन महीने साल क्या
हर पल बदलता जाता है
पर हाँ !
नहीं बदलता तो बस वो एहसास है
जो रिश्तों के मोती को
धागे में पिरोए रखता है।
धीरे धीरे सरकते ए बीतते पल !
शुक्रिया है तेरा
जो मेरी माला में
आपको मोती सा पिरोए रक्खा।
और इसी यकीं के साथ आगाज है तेरा
दस्तक दे रहे सुनहरे पल !
कि रिश्तो से बुने धागों की इस माला में
आप की माला का मोती मैं
और मेरी माला का मोती बन ,
आप हर पल चमकते रहें।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ
नीलिमा