दोस्तों! 71 वें स्वतंत्रता दिवस की शुभ संध्या पर आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ। जहाँ ये दिन हम सब के लिए गर्व और अभिमान का पल लाता है तो वहीं आज के परिप्रेक्ष्य में हमें कुछ सोचने पर मजबूर भी करता है। जितना मुझे याद है सम्भवतः सन् 1976 में अलीगढ़ में हुए दंगों के बाद हालात काफी ख़राब हो गए थे, उसी दौरान मैंने कुछ पंक्तियाँ लिखी थी। अपने उन्हीं जज़बातों को आज आप सबसे बाँटना चाहती हूँ ----
हे भारतवासी ! अपने गौरव की रक्षा करना,
हे कुलदीपक ! अपनी माँ की रक्षा करना,
भूलो नहीं कभी अपने अभिमान को,
भूलो नहीं कभी अपनी इस शाम को,
तुमने हिटलर नहीं टेरेसा का जीवन है,
रावण नहीं राम की गाथा का उपवन है,
भूलो नहीं यहाँ सूरज से दिन होता है,
रात यहाँ चंदा सी शीतल होती है,
सदा सर्वदा गतिमान बढ़ने की इच्छा करना,
हे भारतवासी ! अपने गौरव की रक्षा करना।
हे भारतवासी ! अपने गौरव की रक्षा करना।
यहाँ वायु में मलय गन्ध मिलती है,
पावन गंगा भी इसी भूमि में बहती है,
वीणा में झँकार यहाँ होती है,
वेदों की ध्वनि कण-कण में मिलती है,
सदा देववाणी मुखरित होती है,
अपने कुल वैभव की रक्षा करना,
हे भारतवासी ! अपने गौरव की रक्षा करना,
हे भारतवासी ! अपने गौरव की रक्षा करना
नीलिमा कुमार