कभी धुआँधार तो कभी झिमिर झिमिर कर बरसती रिमझिम फुहारों से धुला धुला सा मेरा शहर कितना खूबसूरत लग रहा था। दो दिन के बाद सँध्या समय आसमान खुला और भास्कर ने कुछ यूँ छटा बिखेरी कि अपने बैठक की बालकनी से इन खूबसूरत नजारों को अपने कैमरे में कैद करने से स्वयं को रोक न सकी, सोचा इन खूबसूरत नजारों को आप सबसे साझा करूँ । क्या कहते हैं ? मुस्कुराइए कि आप लखनऊ में हैं----
चित्रांकन समय : 7 जुलाई सायं 7.30 बजे
Tuesday, 18 July 2017
उस अनजान चितेरे की अनुपम चित्रकारी:
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